स्वास्थ्य सचिव दिल्ली के अस्पतालों में कोविड इलाज के रेट को लेकर फैसला करें : हाईकोर्ट

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नई दिल्ली, 20 मई (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि वे दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए इलाज के रेट तय करने के मसले पर फैसला करें। जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्वास्थ्य सचिव से 24 मई तक फैसले से अवगत कराने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि इस मसले पर एक कमेटी बनाने पर सहमति बनी है। इस पर एमिकस क्युरी राजशेखर राव विस्तार से रखेंगे, क्योंकि बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। तब राव ने कहा कि अस्पतालों को आगे आना होगा। एनएबीएल की ओर से मान्यता प्राप्त आईसीयू बेड के लिए अस्पताल 24 हजार रुपये चार्ज बता रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार को फैसला करना है कि क्या अस्पतालों के रेट में अंतरिम बढ़ोतरी की जा सकती है। तब कोर्ट ने राव से कहा कि हम आपको इसमें शामिल नहीं करना चाहते हैं। दिल्ली सरकार को सुझाव देने दीजिए। स्वास्थ्य सचिव को प्रस्ताव लाने दीजिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई आधी-अधूरी बात हो और वो खत्म हो जाए।
राहुल मेहरा ने कहा कि अस्पतालों के रेट फिक्स करने में कोई सामंजस्य होना चाहिए। पिछले साल 18 हजार रुपये पर सभी खुश थे। तब राजशेखर राव ने कहा कि अस्पतालों ने कहा कि उन्होंने कई बार दिल्ली सरकार से इसे लेकर बात की। वे खुश नहीं हैं। तब मेहरा ने कहा कि हम भी ये कह सकते हैं कि अस्पतालों का चार्ज काफी ज्यादा है। तब कोर्ट ने कहा कि 18 हजार रुपये भी एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए काफी ज्यादा है, लेकिन वो आधार नहीं हो सकता है। इसे सुसंगत बनाने की जरूरत है। मेडिकल कम्युनिटी आगे आ रही है। काफी डॉक्टरों की जान गई है। तब मेहरा ने कहा कि डॉक्टरों को अस्पताल से अलग देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों को अनाप-शनाप चार्ज लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि कुछ मरीजों की स्थिति के मुताबिक ज्यादा पैसे भी देने पड़ सकते हैं। जिसको जितनी ज्यादा जरूरत पड़ेगी, उन्हें उतनी ही ज्यादा देनी होगी। तब राव ने कहा कि सरकार से जो मदद मिलती है उसका भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वो रेट तय करे। तब मेहरा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक को समयबद्ध तरीके से फैसला करना होगा। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को इस बात पर फैसला कर कोर्ट को 24 मई तक बताने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि स्वास्थ्य सचिव सभी पक्षों से बात कर, एक संतुलित फैसला लेंगे।

 


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