दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू प्रशासन से पूछा, जब क्लास ही नहीं हुई तो परीक्षा क्यों ?

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कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया कि वो जेएनयू के एकेडमिक काउंसिल को अपनी अनुशंसा बताएं 



नई दिल्ली, 29 जनवरी (हि.स.) । दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू प्रशासन से पूछा है कि जब कक्षाएं ही नहीं हुईं तब ऑनलाइन ओपन-बुक या टेक-होम परीक्षा का क्या उद्देश्य है? ओपन बुक परीक्षा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव शकधर ने जेएनयू प्रशासन से पूछा कि परीक्षा का उद्देश्य छात्रों द्वारा जो कुछ सीखा गया है, उसका मूल्यांकन करना है। लेकिन अगर व्यावहारिक रूप से कोई कक्षा ही आयोजित नहीं की गई तो उनका मूल्यांकन क्या किया जा रहा है?
कोर्ट ने जेएनयू के विभिन्न स्कूलों और स्पेशल केंद्रों के बोर्ड ऑफ स्टडीज को निर्देश दिया कि वो आपस में बैठकर ये तय करें कि मानसून सेमेस्टर की बाकी क्लासेज को कैसे आयोजित किया है औऱ उनकी परीक्षाएं कैसे आयोजित की जाएं। कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया कि वो जेएनयू के एकेडमिक काउंसिल को अपनी अनुशंसा बताएं और उस अनुशंसा की एक प्रति कोर्ट में भी दाखिल करें। कोर्ट ने 4 फरवरी तक अनुशंसा की प्रति कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया ।
दरअसल मानसून सेमेस्टर के लिए आनलाइन ओपन-बुक परीक्षा आयोजित करने के जेएनयू प्रशासन के फैसले को छात्रों और कुछ प्रोफेसर्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील रितिन राव ने जेएनयू के उस सर्कुलर का विरोध किया, जिसमें युनिवर्सिटी की वेबसाइट पर प्रश्न-पत्र अपलोड करने या उन्हें ई-मेल के जरिये छात्रों को भेजने के एक वैकल्पिक मोड का प्रावधान किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि जेएनयू के वीसी को ये अधिकार नहीं है कि वो इस तरीके से परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति दें। ये फैसला बिना प्रोफेसर्स की सहमति से लिया गया था। जेएनयू की ओर से एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि यूनिवर्सिटी एक्सट्रा क्लासेज आयोजित करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि विंटर सेशन शुरू हो चुका है, इसलिए उसे पूरी प्रक्रिया को शुरू करना समय की बर्बादी है। उन्होंने कहा कि ओपन-बुक परीक्षा के जरिये भी छात्रों का टेस्ट लिया जाता है और वो आसान नहीं होती हैं।

 


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