दिल्ली में नहीं मिल रहा भरपेट भोजन, सिर्फ हो रही खानापूर्ति
नई दिल्ली, 08 मई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गरीब, दिहाड़ी मजदूर, बेघर और अन्य जरूरतमंदों की सहायता के लिए अनेकों सामाजिक, धार्मिक एवं गैर-सरकारी संगठन दिन-रात सक्रिय हैं। कई सरकारें भी जरूरतमंदों को दोनों वक्त का खाना खिला रही हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि वह लॉकडाउन के बीच दिल्लीभर में 1780 भोजन केंद्र चला रही है जहां जाकर जरूरतमंद लोग प्रतिदिन दोनों वक्त का भोजन भरपेट कर सकते हैं। पर, अनेकों जरूरतमंद ऐसे भी हैं जिनको भोजन नहीं मिल रहा है और यदि मिल भी रहा है तो भोजन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
दिल्ली के गौतमपुरी इलाके के इंद्र कॉलोनी में रहने वाले 64 वर्षीय शिवनंदन दास फुटपाथ पर जूता सिलकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। अब लॉकडाउन ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। जब उनसे पूछा गया कि लॉकडाउन के बीच काम-धंधा कैसा चल रहा है तो बोले, “काम-धंधा बहुत मंदा चल रहा है। किसी रोज 50 रुपये कमाता हूं तो किसी रोज़ 30 रुपये। जब लोगों की जेब मे पैसा ही नहीं है तो कैसे ठीक चलेगा काम-धंधा। कोरोना के कारण हम बहुत सावधानी बरत रहे हैं, लेकिन पेट को भोजन तो दोनों वक्त का चाहिए।”
उनसे पूछा गया कि सरकार मदद नहीं कर रही क्या? इस पर उन्होंने कहा, “आज तक राशन का एक दाना भी नहीं मिला। राशन कार्ड नहीं है। आधार कार्ड है। आधार कार्ड लिंक करवाए भी एक महीना होने जा रहा है, लेकिन राशन कब मिलेगा इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।”
शिवनंदन दास का कहना है कि हम फुटपाथ पर जूता सिलते हैं। सरकार को हम जैसे लोगों का खयाल ठीक से रखना चाहिए। सरकारी भोजन केंद्रों पर प्रतिदिन दोनों वक्त खिचड़ी मिलती है जिससे पेट खराब हो जाता है। परिवार में सात सदस्य हैं लेकिन खिचड़ी भी सिर्फ एक को ही मिलती है। कटोरा लेकर जाओ तो कहा जाता है कितना खाएगा।