कहीं रंजिश तो कहीं वर्चस्व की लड़ाई से उपजी गैंगवार की घटनाओं से बदतर हुए राजधानी के हाल
नई दिल्ली, 10 जून (हि.स.)। राजधानी दिल्ली में एक दर्जन से ज्यादा गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं। यह बदमाश कहीं वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़े तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के विवाद में खून-खराबे पर उतर आये है। इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में करीब 100 से ज्यादा हत्याएं अबतक हो चुकी हैं। ऐसे प्रमुख गैंगों के बारे में गहन छानबीन करते हुए कई प्रमुख तथ्यात्मक जानकारियां जुटाई है, कि आखिर उनके बीच रंजिश क्यों शुरू हुई और इसकी वजह से अब राजधानी दिल्ली में क्या हालात हैं।
जेल से चला रहा है गैंग
बाहरी दिल्ली में इस समय सबसे बड़ा बदमाश नीरज बवानियां है। फिलहाल वह तिहाड़ जेल के हाई रिस्क में बंद है। बावजूद इसके वह अपने गुर्गों के द्वारा अपराध की दुनिया में लगातार सक्रियहै। नाम को तेजी बनाने से बनाने के लिये उसने पहले अपने साथी और बाद में विरोधी रहे सुरेन्द्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा के गैंग के सभी बड़े बदमाशों की हत्या कर दी। नीतू दाबोदा को स्पेशल सेल ने वर्ष 2013 में मुठभेड़ में मारा गिराया था, तब से नीरज और मजबूत हो गया। दोनों तरफ से अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं।
2004 से साथ कर रहे थे अपराध
बाहरी उत्तरी जिले के बवाना इलाके का रहने वाला नीरज वर्ष 2004-05 से अपराध की दुनिया में सक्रिय है। उस समय नीतू दाबोदा गैंग अपराध की दुनिया में काफी नाम कमा चुका था। दोनों ने साथ मिलकर कई वर्षों तक लूट, हत्या, डकैती जैसे कई वारदातों को अंजाम दिया। दोनों के एक साथ रहने की वजह से जहां लगातार अपने गैंग को बढ़ा रहे थे वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में उनके गैंग का नाम भी लगातर सुर्खियां बटोर रहा था।
सोनू पंडित की हत्या से शुरू हुई गैंगवार
वर्ष 2011 में उनके गैंग में कंझावला स्थित टटेसर गांव निवासी अजय उर्फ सोनू पंडित का आना हुआ। वह नीरज के बेहद करीब था। उसकी वजह से नीरज और नीतू के बीच दूरियां बढ़ती जा गई। नीतू को लगता था कि सोनू उसके खिलाफ नीरज को भड़काता है। वह गैंग की सारी खबरें भी नीरज तक पहुंचाता है। उसे यह लगने लगा कि नीरज, सोनू पंडित के साथ मिलकर उसकी हत्या कर सकता है। इसलिए उसने वर्ष 2012 में सोनू पंडित को अगवा कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद उसके शव को करनाल के जंगल में ले जाकर जला दिया। इस घटना ने नीरज और नीतू के बीच गैंगवार को जन्म दिया।
हत्याओं का सिलसिला बढ़ता गया
सोनू पंड़ित की मौत के बाद नीतू दाबोदा के साथी राजेश उर्फ राजू ने नीरज का हाथ थाम लिया। इससे नाराज नीतू ने उसकी भी हत्या कर दी। इस समय तक नीरज पर नीतू काफी भारी पड़ रहा था। लेकिन 24 अक्टूबर 2013 को वसंत कुंज इलाके में हुई एक मुठभेड़ में स्पेशल सेल ने नीतू दबोदा को मार गिराया। यहां से ही नीरज बवानिया विरोधी गैंग पर हावी होने लगा। वर्ष 2014 में उसने सोनू पंडित की हत्या में शामिल संदीप की हत्या कर दी। इसके बाद रानी बाग इलाके में नीरज के गुर्गों ने नीतू के साथी प्रदीप दहिया और अनिल की गोली मारकर हत्या कर दी। नीतू के साथी आशु हलालपुरी को भी नीरज ने मार दिया। उधर नीतू के साथियों ने नीरज के गुर्गे मोनू वाजिदपुर को भी मार डाला।
नीतू दाबोदा गैंग संभाल रहा राजेश बवानिया
नीतू दबोदा की मौत के बाद उसके गिरोह की कमान पारस उर्फ गोल्डी और प्रदीप उर्फ भोला ने संभाली। वर्ष 2014 अप्रैल माह में रोहिणी कोर्ट परिसर में नीरज ने प्रदीप भोला की पेशी के दौरान हत्या की योजना बनाई। कोर्ट परिसर में करीब 10 बदमाश हत्या के लिए आये, लेकिन पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। इसके बाद 25 अगस्त 2015 को पुलिस ने नीरज बवाना को कोर्ट से पेशी के बाद जेल वैन में वापस लेकर जा रही थी। इसी दौरान जेल वैन में पारस और प्रदीप भी मौजूद थे। नीरज ने अपने साथियों की मदद से जेल वैन के भीतर ही दोनों को पीट-पीटकर मार डाला। अप्रैल 2017 में उसने रोहिणी जेल के बाहर राजेश धुरमूट की भी हत्या करवा दी। अब नीतू के गैंग की कमान जेल में बंद राजेश बवानिया के पास है।
कानूनी पेचीदगी का उठाते हैं फायदा
रोहिणी कोर्ट के अधिवक्ता वेद प्रकाश ने बताया कि राजधानी में बदमाश वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़ते हैं और एक-दूसरे की जान लेते हैं। गैंगवार को रोकने में पुलिस फेल हो चुकी है। इसके लिए उन्हें सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान कई बार गवाह अपने बयान से मुकर जाते हैं तो कई बार पुलिस कोर्ट में अपराध को साबित नहीं कर पाती। इसका फायदा उठाकर बदमाश आराम से बरी हो जाते है।