दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिखेगा पूर्वांचल की राजनीति का रंग, लुभाने में जुटीं पार्टियां


कांग्रेस ने राजद के लिए बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम सीटें छोड़ी हैं, जबकि भाजपा के साथ हुए समझौते के तहत जदयू बुरा%



नई दिल्ली, 20 जनवरी (हि.स.) । दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिहार की राजनीति का रंग भी देखने को मिलेगा। दिल्ली में पूर्वांचल के लोग काफी तादाद में रहते हैं और इन मतदाताओं पर सभी दलों की नजर लगी है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप), भाजपा और कांग्रेस समेत सभी प्रमुख पार्टियां पूर्वांचल के मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटी हैं। भाजपा अपनी सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के साथ और कांग्रेस राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।

कांग्रेस ने राजद के लिए बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम सीटें छोड़ी हैं, जबकि भाजपा के साथ हुए समझौते के तहत जदयू बुराड़ी और संगम विहार सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इन निर्वाचन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग रहते हैं।

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन होने की पुष्टि की। झा ने कहा कि उनकी पार्टी अपने चुनाव चिह्न पर राजधानी की दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दो सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए आ सकते हैं। साल 2013 के चुनाव में जदयू का एक उम्मीदवार विजयी हुआ था।

दिल्ली में बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड से आने वाले लोगों की संख्या पर यदि गौर करें तो यह दिल्ली की आबादी की करीब 30 प्रतिशत है। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटों में करीब 16 सीटें ऐसी हैं जहां पूर्वांचल के लोगों का दबदबा है और ये लोग एकजुट होकर जिस पार्टी के पक्ष में मतदान करते हैं, चुनाव नतीजे उसी पार्टी के पक्ष में जाते हैं।

इस चुनाव में पूर्वांचल वोटों के लिए भाजपा अपने दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के चेहरे पर भरोसा जता रही है। बिहार से आने वाले तिवारी का भोजपुरी स्टार होने के नाते उत्तर प्रदेश और बिहार के पूरे भोजपुरिया समाज पर प्रभाव माना जाता है। पूर्वांचल के वोटरों को साधने के लिए भाजपा की नजर अपने भोजपुरी स्टार प्रचारकों पर है। आने वाले दिनों में पार्टी अपने सदस्यों पवन सिंह ओर दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव प्रचार के लिए उतार सकती है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश लाल यादव को आजमगढ़ सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था।

दूसरी ओर कांग्रेस ने दिल्ली में बिहारी मतदाताओं को रिझाने के लिए पूर्व सांसद कीर्ति झा आजाद को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया है। साथ ही महाबल मिश्र जैसे दिग्गज नेता भी कांग्रेस में हैं जो बिहार से आते हैं। आम आदमी पार्टी (आप) में भी अधिकतर नेता एवं कार्यकर्ता पूर्वांचली हैं। उनके कद्दावर नेता गोपाल राय पूर्वांचल से नाता रखते हैं। बुराड़ी के मौजूदा विधायक और इस बार फिर से चुनाव लड़ रहे संजीव झा भी बिहार से आते हैं, जबकि तिमारपुर से चुनाव लड़ रहे  दिलीप पांडेय भी पूर्वांचली हैं।

उल्लेखनीय है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने 54.3 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में आप को 2013 के मुकाबले 24.8 प्रतिशत ज्यादा मत मिले थे। वहीं, तीन सीट और 32.3 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। साल 2013 की तुलना में भाजपा के मतों में 0.8 प्रतिशत की कमी आई थी, लेकिन 29 सीटें घट गईंं। कांग्रेस की बात करें तो 9.7 प्रतिशत मतों के वह साथ तीसरे नंबर पर रही थी। हालांकि, उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। कांग्रेस के मतों में वर्ष 2013 के मुकाबले 14.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। जबकि बहुजन समाज पार्टी को 5.3 प्रतिशत वोट मिले थे।