नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर चल रही हलचल का जायजा लेने अब खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 03 जुलाई को जायेंगे। इस दौरान वे सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों की तैयारियों की जानकारी भी लेंगे। इससे पहले सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे दो बार और वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया एक बार पूर्वी लद्दाख सीमा का दौरा कर चुके हैं। रक्षा मंत्री के साथ सेना प्रमुख भी होंगे और उन्हें लेह के 14 कोर मुख्यालय में सीमा पर सेनाओं की तैनाती और तैयारियों के बारे में व्यापक जानकारी दी जाएगी। चीन से अब तक कोर कमांडर स्तर की तीन दौर की वार्ता नाकाम रहने की वजहों के बारे में भी उन्हें बताया जायेगा।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे जब 23 मई को पूर्वी लद्दाख सीमा और अग्रिम चौकियों का दौरा करके लौटे थे तो उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में जानकारी देने के साथ ही रक्षामंत्री राजनाथ सिं ह से एलएसी पर भारत की तैयारियों का अवलोकन करने के लिए कहा था। इसके बाद 23-24 जून को नरवणे पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेना की तैयारियों को परखने और अब तक चीनी सेना के साथ हुई वार्ता की समीक्षा करने दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। वे पूर्वी लद्दाख के फॉरवर्ड एरिया में गए और जवानों से मिलकर उनके साहस को सराहा। आर्मी चीफ ने सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का भी जायजा लिया।
दो दिवसीय दौरे से लौटकर आर्मी चीफ ने 26 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उन्हें लद्दाख सेक्टर जमीनी हालात के बारे में जानकारी दी। सीमा पर तनाव के चलते रक्षा मंत्री अब तक कई बार सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) विपिन रावत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक कर चुके हैं। भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य, राजनीतिक के साथ-साथ कूटनीतिक स्तर पर भी प्रयास चल रहे हैं। यही वजह है कि पिछले एक पखवाड़े से एलएसी पर कोई बड़ी घटना नजर नहीं आई है। एलएसी गतिरोध पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि भारत-चीन सीमा रेखा विवाद को कूटनीति के जरिए हल किया जाएगा।
भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच मंगलवार को 12 घंटे हुई तीसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही है। इस मैराथन बैठक में एक-दूसरे के निर्माण कार्यों और सेनाओं के पीछे हटने के मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन पाई। भारत-चीन के बीच एलएसी पर वैसे तो 5 विवादित क्षेत्र हैं लेकिन बैठक में फिंगर-4 पर सबसे ज्यादा फोकस रहा जहां से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने को तैयार नहीं है। गलवान घाटी की घटना के बाद से दोनों ओर से सैनिकों की बढ़ोतरी किए जाने के अलावा कोई नया विवाद नहीं हुआ है।