नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि गलवान में सैनिकों का नुकसान गहरा परेशान करने वाला और दर्दनाक है। हमारे सैनिकों ने अनुकरणीय साहस के साथ चीन सीमा पर कर्तव्य का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं में अपने जीवन का बलिदान दिया। राष्ट्र उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। शहीद हुए सैनिकों के परिवारों के साथ पूरा राष्ट्र इस कठिन घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमें भारत की वीरता के शौर्य और साहस पर गर्व है। दूसरी तरफ चीन ने कहा है कि अब हम चीनी पक्ष से और अधिक संघर्ष नहीं देखना चाहते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दिन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना अध्यक्षों के साथ दो दौर की बैठक के बाद कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया था। उन्होंने बुधवार को कहा कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हुए आमने-सामने की लड़ाई में 20 जवानों के मारे जाने के बाद ‘गलवान में सैनिकों का नुकसान गहरा परेशान करने वाला और दर्दनाक है।’ हमारे सैनिकों ने कर्तव्य की पंक्ति में अनुकरणीय साहस और वीरता का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं में अपने जीवन का बलिदान दिया।” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि देश इस कठिन समय में शहीद सैनिकों के परिवारों के साथ खड़ा है। राष्ट्र उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। मेरा दिल गिरे हुए सैनिकों के परिवारों के लिए निकल गया। इस कठिन घड़ी में राष्ट्र उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमें भारत की वीरता के शौर्य और साहस पर गर्व है।
भारतीय सेना ने शुरू में मंगलवार को कहा कि चीनी सैनिकों के झड़प में एक अधिकारी और दो सैनिक मारे गए लेकिन एक देर शाम के बयान में संशोधित करते हुए कहा कि 17 अन्य गंभीर रूप से घायल जवानों ने गतिरोध वाले स्थान पर शून्य तापमान होने के चलते चोटों के कारण दम तोड़ दिया। यह दोनों देशों के बीच नाथू ला में 1967 के संघर्ष के बाद सबसे बड़ा टकराव है जब भारत ने लगभग 80 सैनिकों को खो दिया था, जबकि इस टकराव में 300 से अधिक चीनी सेना के जवान मारे गए थे।
गलवान घाटी में हुई झड़प पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बुधवार को कहा कि हम कूटनीतिक और मिलिट्री चैनल के जरिए संवाद कर रहे हैं। इस मामले में सही और गलत बिल्कुल साफ है कि ये घटना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ हुई और इसके लिए चीन को दोष नहीं देना चाहिए। चीन और भारत दोनों राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रासंगिक मुद्दों को हल करने पर संपर्क में हैं। चीनी पक्ष से हम और अधिक संघर्ष नहीं देखना चाहते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि गलवान घाटी क्षेत्र की संप्रभुता हमेशा चीन से संबंधित रही है। भारतीय सीमा के सैनिक सीमा से जुड़े मुद्दों और हमारे कमांडर स्तर की वार्ता की सर्वसम्मति पर हमारी सीमा प्रोटोकॉल का उल्टा-पुल्टा और गंभीर रूप से उल्लंघन करते हैं। ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा कि हम चीन और भारत को सीमा से जुड़े मुद्दों पर बातचीत में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, हिंसा किसी के हित में नहीं है।