नई दिल्ली, 26 नवम्बर (हि.स.)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि चीन के साथ सीमा का विवाद हल करने के लिए सेना के कमांडर और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है। भारत बातचीत के रास्ते और शान्तिपूर्ण ढंग से इस समस्या का समाधान चाहता है लेकिन मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम भारत की सीमा, सम्मान, स्वाभिमान से प्रतिबद्धता नहीं करेंगे। उन्होंने पाकिस्तान को भी चेतावनी देते हुए कहा कि हमें भारत में मौजूद हर तरह के आतंक के बुनियादी ढांचे की व्यवस्था को खत्म करने में कामयाबी मिली है। अब अगला कदम आतंकवाद के वित्तीय नेटवर्क को बाधित करने की दिशा में उठाया जा रहा है।
रक्षामंत्री ने गुरुवार को एक निजी कार्यक्रम में कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर एक अवधारणात्मक अंतर है। इसके बावजूद कुछ ऐसे समझौते और प्रोटोकॉल हैं, जिनका पालन करते हुए दोनों देशों की सेनाएं एलएसी के पास पेट्रोलिंग करती हैं। हमारी सरकार ने सेनाओं को यह खुली छूट दे रखी है, कि वे एलएसी पर किसी भी तरह के बदलाव का पूरी ताकत से विरोध करें। गलवान में भारतीय सेना ने किया और पूरी तरह से चीन के सैनिकों का मुकाबला करते हुए उन्हें पीछे जाने पर मजबूर किया। भारत और चीन के बीच सीमा का विवाद बातचीत के रास्ते और शान्तिपूर्ण ढंग से हो, यह हम चाहते हैं। इसीलिए सेना के कमांडर और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है लेकिन मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम भारत की सीमा, सम्मान, स्वाभिमान से प्रतिबद्धता नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया में एक कूटनीतिक दबाव बनाया है जिसके कारण पाकिस्तान नर्सरी ऑफ टेररिज्म के रूप में बेनकाब हो गया है। आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल फोरम पर ऐसा जनमत बनाया है कि आये दिन पाकिस्तान के सिर पर एफएटीएफ की तलवार लटकती नजर आती है।पाकिस्तान का भारत के खिलाफ आतंकवाद का मॉडल धीरे-धीरे ध्वस्त हो रहा है। इसकी उन्हें इतनी खिसियाहट है कि अब वे भारत-पाकिस्तान सीमा पर आए दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन करते रहते हैं। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि हमें भारत में मौजूद हर तरह के आतंक के बुनियादी ढांचे की व्यवस्था को खत्म करने में कामयाबी मिली है। अब अगला कदम आतंकवाद के वित्तीय नेटवर्क को बाधित करने की दिशा में उठाया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ पिछले छह वर्षों में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले आतंकी हमले होते थे, सेना और सुरक्षा बलों के जवान जवाबी कार्रवाई करते थे। सबूत इशारा करते थे कि पाकिस्तान से इन आतंकवादियों के तार जुड़े हुए हैं लेकिन अब आतंकवाद के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई 360 डिग्री पर हो रही है। देश की सीमाओं के भीतर कार्रवाई करने के साथ ही जरूरत पड़ने पर हमारी सेना के बहादुर जवान सीमा पार जाकर भी आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने का काम कर रहे हैं। देश की आजादी के बाद से भारत विरोधी ताकतें सीमाओं पर या सीमाओं के रास्ते अस्थिरता पैदा करके भारत के भीतर अस्थिरता का माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अभी पिछले दिनों ही सीमा पार से आतंकवादियों की एक और खेप भारत में घुस आयी थी। वह इस बार फिर 26/11 की तरह एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने का मंसूबा लेकर आए थे लेकिन हमारे देश की सेना, पुलिस और सुरक्षाबलों ने मिलकर उन सभी आतंकवादियों को अपने मंसूबों को अंजाम देने से पहले ही मौत के घाट उतार कर पाकिस्तान की एक और भारत विरोधी कार्रवाई को नाकाम कर दिया। अब भारत ने अपना आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा चक्र इतना मजबूत कर लिया है कि अब एक और 26/11 को हिंदुस्तान की धरती पर अंजाम देना लगभग नामुमकिन है। वैसे तो बारह साल का समय लम्बा समय होता है मगर 26/11 की घटना को कोई भी स्वाभिमानी देश कभी भुला नहीं सकता। उस दिन आतंकवाद ने भारत की संप्रभुता को चुनौती दी थी और मुझे इस बात का गर्व है कि हमारे सुरक्षा बलों ने एक भी आतंकी जिंदा वापस जाने नहीं दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का यह दिन यानी 26 नवम्बर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 12 साल पहले भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर इतनी बड़ी आतंकवादी हमला हुआ था, जिसके कारण देश को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को हमेशा के लिए बदलने की दिशा में आगे सोचना पड़ा था। उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर चाहे जितनी अच्छी व्यवस्था बना लें लेकिन उसे समय-समय पर जरूरतों के हिसाब से बदलने की जरूरत रहती है। यही कारण है कि हमारे लिए ‘यह अंत है’ नहीं होता है लेकिन ‘हम हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे। कुल मिलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जो व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण है, उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।