नई दिल्ली, 28 सितम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 का अनावरण किया। इसमें ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ को ध्यान में रखते हुए खरीद प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने और व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है ताकि व्यापार करने में आसानी हो सके। नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार भविष्य में सरकार, एकल-विक्रेता और आईजीए सौदों में ऑफसेट पॉलिसी नहीं लागू होगी। नई डीएपी में घरेलू रक्षा उद्योग और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय शामिल किये गए हैं।
रक्षा मंत्रालय में सशस्त्र बलों के लिए हथियार, गोला-बारूद खरीदने के लिए पहली रक्षा खरीद प्रक्रिया को वर्ष 2002 में लागू किया गया था। बढ़ते घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देने और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए इसमें समय-समय पर संशोधन किये गए। नई डीएपी-2020 बनाने के लिए अगस्त 2019 में महानिदेशक (अधिग्रहण) अपूर्वा चंद्रा की अध्यक्षता में मुख्य समीक्षा समिति के गठन को मंजूरी दी थी। इसके बाद विभिन्न एजेंसियों से मिले सुझावों का विश्लेषण करने के बाद कई लोगों से व्यक्तिगत रूप से और वेब कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद भी किए गए, ताकि उनकी चिंताओं के बारे में अच्छी तरह से समझा जा सके। अब इसके बाद मसौदे को फाइनल करके जारी किया गया है।
रक्षा मंत्री ने नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 दस्तावेज का अनावरण करने के मौके पर कहा कि डीएपी-2020 का गठन हितधारकों की टिप्पणियों और सुझावों को शामिल करने के बाद किया गया है। डीएपी-2020 का गठन करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के विजन को ध्यान में रखते हुए भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने के अंतिम उद्देश्य के साथ भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाया गया है। नई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की घोषणा के साथ डीएपी-2020 में भारतीय घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए आयात और निर्यात दोनों के लिए विनिर्माण हब स्थापित करने के लिए एफडीआई को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रावधान शामिल हैं।
डीएपी-2020 में आत्मनिर्भरता और निर्यात के क्षेत्र में खुद को मजबूत करने के लिए देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। ऑफसेट दिशा-निर्देशों को भी संशोधित किया गया है, जिसमें घटकों पर पूर्ण रक्षा उत्पादों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी और ऑफसेट के निर्वहन में प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न मल्टीप्लायरों को जोड़ा गया है। नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार भविष्य में सरकार, एकल-विक्रेता और आईजीए सौदों में ऑफसेट पॉलिसी नहीं लागू होगी। सैन्य प्लेटफार्मों को पट्टे पर देने में सक्षम करने के लिए डीएपी में एक नई श्रेणी शामिल की गई है। डीएपी में एक नई प्रक्रिया को शामिल करके सेवाओं के लिए समयबद्ध तरीके से सरलीकृत प्रक्रिया के तहत आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए प्रावधान तय किये गए हैं।
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 में रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के तहत कई घोषणाएं की गईं हैं। सरकार ने नए मसौदे में दूसरे देशों से हथियारों का आयात करने के बजाय घरेलू डिजाइन और विकास के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। मसौदे में कहा गया है कि घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशों में निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत हथियारों के दामों की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेगा। इस सबके लिए एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जो रिसर्च और अनुसंधान को प्रोत्साहित करे ताकि भारत में मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिल सके। इसके अलावा गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एयरोस्पेस और नौसेना जहाज निर्माण उद्योग सहित एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग विकसित करने का भी लक्ष्य रखा गया है।