रक्षा मंत्री ने किया वैज्ञानिकों से स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियां विकसित करने का आह्वान

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नई दिल्ली, 11 मई (हि.स.) । राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह दिवस हमारे भारतीय वैज्ञानिकों के ज्ञान, प्रतिभा और दृढ़ता को समर्पित है, खासकर जिन्होंने देश की जटिल राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का समाधान खोजने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने देश की वैज्ञानिक बिरादरी को शुभकामनाएं देते हुए डीआरडीओ, ओएफबी, डीपीएसयू, उद्योग और रक्षा स्टार्टअप से अपील की कि वे राष्ट्र को स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियां देने के लिए अपने प्रयास और बढ़ाएं।
उन्होंने इस अवसर पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कि 11 मई 1998 से यह दिवस तकनीक के क्षेत्र में देश को खुद के पैरों पर खड़ा करने के उपलक्ष्य के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए, बल्कि समस्त देशवासियों के लिए बहुत खास है। आज के ही दिन हमारे देश ने स्वदेशी विमान हंसा-3 का बेंगलुरु में पहला सफल परीक्षण किया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज से 22 साल पहले पोखरण विस्फोट ने दुनिया को यह एहसास करा दिया था कि अब भारत ने परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र कदम रख दिया है।
उन्होंने कहा कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी विकसित प्रौद्योगिकी और एक समर्पित टीम की मदद से भारत के एक परमाणु राष्ट्र बनने का अप्रत्याशित लक्ष्य हासिल किया था। यह केवल भारत की क्षमता का ही प्रतीक नहीं था, बल्कि इसके गौरव का भी प्रतीक था। पोखरण में 1998 में अटलजी ने प्रधानमंत्री रहते जो परमाणु परीक्षण कराए, उससे पूरे विश्व में भारत को एक ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति सम्पन्न देश की मान्यता मिली। ये परीक्षण भारत के राष्ट्रीय संकल्प एवं वैज्ञानिकों की प्रतिभा एवं क्षमता के परिचायक हैं। भारत की इस संकल्प शक्ति को नमन है।

 


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