नई दिल्ली, 04 जून (हि.स.)। देश के सशस्त्र बलों के इतिहास में पहली बार रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव जैसे पद सृजित करके नियुक्तियां की गईं हैं। तीनों सेनाओं में रक्षा सुधारों के लिए बनाये गए डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) ने कई और ऐसी सिफारिशें की हैं, जिनसे आगे आने वाले समय में सशस्त्र बलों में बदलाव दिखेंगे। संयुक्त सचिव (नौसेना और रक्षा कर्मचारी) पद पर नियुक्त होने वाले पहले सशस्त्र बल अधिकारी रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर ने शुक्रवार को कार्यभार संभाल लिया है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार सेनाओं का पुनर्गठन किये जाने के ऐतिहासिक कदम में सेना, वायु सेना और नौसेना के वर्दीधारी कर्मियों को पहली बार औपचारिक रूप से रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी को डीएमए में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया है। रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर के अलावा मेजर जनरल केके नारायणन और एयर वाइस मार्शल हरदीप बैंस को डीएमए में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी पहले से ही अतिरिक्त सचिव और अन्य तीन अधिकारियों के संयुक्त सचिव के हिस्से का कार्य देख रहे थे। अब औपचारिक नियुक्तियां होने के साथ ही इन अधिकारियों को निर्णय लेने के अधिकार भी दिए गए हैं जिससे कार्यों को सुव्यवस्थित करने में आसानी होगी।
रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला, पुणे के पूर्व छात्र हैं और उन्हें 01 जनवरी, 1985 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली से स्नातक हैं।वह सबसे वरिष्ठ सेवारत मरीन कमांडो हैं और उन्होंने प्रमुख मार्कोस प्रतिष्ठान की कमान आईएनएस अभिमन्यु, भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस खंजर और आईएनएस राणा पर फ्रंटलाइन फ़्लोट और एशोर असाइनमेंट में काम किया है। इसके अलावा देश के भीतर और बाहर शांति मिशन को अंजाम दिया है जिसमें ‘ऑपरेशन पवन’ और ‘ऑपरेशन जुपिटर’ शामिल हैं। उनके पास रक्षा मंत्रालय में भी कार्य करने का समृद्ध अनुभव है। उन्होंने नौसेना मुख्यालय के साथ-साथ मुख्यालय एकीकृत रक्षा कर्मचारियों में विभिन्न क्षमताओं में काम किया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री के विजन ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ईज-ऑफ-डूइंग बिजनेस’ को सरकार की पहल पर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही उन्होंने अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के साथ ही स्वदेशीकरण पर ध्यान केन्द्रित किया है। सामरिक भागीदारी (एसपी) मॉडल, संशोधित ‘मेक-II’ और ‘मेक-III’ के साथ ही रक्षा मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी की गई ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ में भी उनका योगदान रहा है। उन्होंने क्षमता विकास में त्रि-सेवा एकीकरण को भी आगे बढ़ाया है, इसके अलावा रक्षा योजना के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण पेश किया है। उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ और ‘अति विशिष्ट सेवा पदक’ दिया जा चुका है।