नई दिल्ली, 15 अप्रैल (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना कमांडरों को भविष्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए क्षमता बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं और रणनीतियां बनाने की सलाह दी है।पूर्वी लद्दाख में अचानक संघर्ष का माहौल बनने पर चीन को समय पर और उचित प्रतिक्रिया देने के लिए वायुसेना को बधाई देते हुए उन्होंने भविष्य में पुन: ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय वायुसेना की सेवाओं को सराहा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि तीन दिन चलने वाले सम्मेलन के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएंगे। सम्मेलन में वायुसेना प्रमुख की अगुवाई में एयरफोर्स के सभी कमांडर्स दुश्मन पर अपनी बढ़त बनाने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
रक्षा मंत्री गुरुवार को वायुसेना मुख्यालय ‘वायु भवन’ में वायुसेना के कमांडरों के तीन दिवसीय द्विवार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान खुशी जाहिर की कि यह सम्मेलन वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह की जयंती पर आयोजित किया जा रहा है। बदलती अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ट्रांस-अटलांटिक से ट्रांस-पैसिफिक पर ध्यान केंद्रित करने की अवधारणात्मक बदलाव अधिक स्पष्ट हो गया है। अब युद्ध के नए आयामों में उन्नत प्रौद्योगिकियां असीमित क्षमताओं के साथ शामिल होंगी, इसलिए भविष्य के लिए वायुसेना को अपनी तैयारियों में इन पहलुओं को भी शामिल करना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने प्रधान मंत्री के ’स्व रिलायंस’ के दृष्टिकोण को दोहराते हुए रक्षा अवसंरचना में आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) के लिए वायुसेना के आदेश से घरेलू रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा और यह स्वदेशी दृष्टिकोण से गेम चेंजर होगा। उन्होंने कमांडरों से स्वदेशी रक्षा उत्पादन और विमान रखरखाव के क्षेत्र में और भी अधिक परिणाम प्राप्त करने के अपने प्रयासों को जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास राष्ट्रीय नीति के पूरक पहलू हैं। स्वदेशी उद्योग के लिए वायुसेना के समर्थन के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में लघु उद्योगों का विकास होगा जो देश के आत्मनिर्भरता और सामाजिक-आर्थिक विकास का कारण बनेगा।
उन्होंने वर्तमान में चल रही सेनाओं के एकीकरण प्रक्रिया, संयुक्त लॉजिस्टिक योजना के कार्यान्वयन, संयुक्त योजना और संचालन के क्षेत्रों में तालमेल बढ़ाने के लिए लगातार काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने संबोधन के अंत में वायुसेना के शक्तिशाली रणनीतिक एयरोस्पेस बल होने का लक्ष्य हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय से पूरे समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएंगे। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अन्य सरकारी एजेंसियों की सहायता करने में भूमिका निभाने के लिए भारतीय वायु सेना की सराहना की।
यह कमांडर्स सम्मेलन 16 अप्रैल, 21 को समाप्त होगा। इस दौरान वर्तमान लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने और भारतीय वायुसेना को भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू बल बनाने की कार्ययोजना की समीक्षा की जाएगी। कमांडर्स सभी डोमेन में अधिक कुशल प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम, सुधार और पुनर्गठन से संबंधित मुद्दों और अनुकूलित परिचालन प्रशिक्षण पर भी चर्चा करेंगे। इस मौके पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने रक्षा मंत्री का स्वागत किया।