नई दिल्ली, 10 मई (हि.स.)। सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि इस समय देश की सेना कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सिविल प्रशासन की मदद में जी जान से जुटी है। देश में कोविड संकट को देखते हुए भले ही बॉर्डर पर सेना की कम से कम मौजूदगी है, इसके बावजूद सेना ने ऐसी तैयारियां कर रखी हैं कि हमें कोई चकमा नहीं दे सकता। खतरे का आकलन करने के बाद कुछ ऐसे स्थान चिह्नित किये गए हैं, जहां भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर रखी है।
दरअसल, पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन से गतिरोध की शुरुआत पिछले साल मई माह से ही हुई थी जब 5 मई को एलएसी पर पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर दोनों देशों के सैनिकों में पहला संघर्ष हुआ था। इसके डेढ़ माह बाद 15/16 जून को गलवान घाटी में हुआ खूनी संघर्ष तो इतिहास में दर्ज हो गया, क्योंकि 45 साल में यह पहली घटना थी, जिसमें दोनों देशों के सैनिक मारे गए थे। इस हिंसक वारदात में भारत ने अपने 20 जवान खोये थे। पूर्वी लद्दाख में चीन से गतिरोध का एक साल पूरा होते ही चीनी वायरस कोरोना की दूसरी लहर ने देश में नया संकट खड़ा कर दिया है। इस बीच चीन फिर से पूर्वी लद्दाख के गहराई वाले क्षेत्रों में चुपचाप स्थायी आवास और डिपो का निर्माण करके अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में लग गया है।
सीमा पर चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच सीडीएस बिपिन रावत ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि भले ही इस समय देश के भीतर ‘कोविड वार’ में जुटी सेना की मौजूदगी सीमा पर कम की गई है लेकिन चीन अब पिछले साल वाली गलती नहीं दोहरा सकता। उन्होंने देश को आश्वस्त किया है कि देश की सेना ने ऐसी तैयारियां की हैं कि हमें कोई चकमा नहीं नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि खतरे का आकलन करने के बाद सीमा पर कुछ ऐसे स्थान चिह्नित किये गए हैं, जहां भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर रखी है।हमने सेना को रिजर्व एरिया में रखा है ताकि इन चिन्हित स्थानों पर किसी तरह की गड़बड़ी होने पर तत्काल तैनात करके दुश्मन का मुकाबला किया जा सके। सीडीएस बिपिन रावत ने सैन्य कमांडरों पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें उन जगहों का अंदाजा है कि दुश्मन कहां से दुस्साहस कर सकता है और हम उस पर कहां से भारी पड़ सकते हैं।
जनरल रावत ने कहा कि समय-समय पर आने वाली चुनौतियों को लेकर सेना खतरों का आकलन करती रहती है। देश में कोविड संकट के समय सिविल प्रशासन की मदद करने में जुटने के साथ ही सेना ने सीमा की चिंता को भी ध्यान में रखा है। सीमा पर तैनात सेना की कुछ टुकड़ियों को वापस बुलाकर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में लगाया गया है। इसलिए भले ही इस वक्त सीमा पर हमारी कम मौजूदगी है लेकिन भारतीय सेना की चौकन्नी निगाहें दुश्मन की हर गतिविधियों पर हैं। बिपिन रावत ने कहा कि कोरोना काल में आम नागरिकों की मदद करने के लिए सीमा के जिन स्थानों से सेना को वापस बुलाया गया है वहां के लिए सेना का इमरजेंसी प्लान तैयार है। इसी आधार पर सेना की तैनाती की गई है ताकि देश में चल रहे कोविड संकट का फायदा दुश्मन न उठा सके।