नई दिल्ली, 24 जनवरी (हि.स.)। ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारी और तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण को देखते हुए इस बार के सालाना केंद्रीय बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व बढ़ोतरी होने के संकेत हैं। केंद्र आगामी वित्तीय वर्ष में सशस्त्र बलों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ उत्पादों की खरीद पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसलिए रक्षा क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए इस साल का बजट 6 लाख करोड़ तक जाने की उम्मीद जताई जा रही है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने भी इस बार सरकार से ज्यादा बजट मांगे जाने की बात स्वीकार की है।
मोदी सरकार ने 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च एजेंडे पर रखते हुए लगातार रक्षा खर्च बढ़ाकर सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले साल भी कुल बजट का 15 फीसदी हिस्सा सशस्त्र बलों को दिया गया था। एलएसी पर चीन से तनाव बढ़ने और गलवान घाटी में 20 जवानों को खोने के बाद केंद्र ने आपात आर्थिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सेनाओं को हथियार खरीदने के लिए कई हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। अब चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही तीनों सेनाओं का आधुनिकीकरण करने और उनकी तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए एक बार फिर से रक्षा बजट में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है।
पिछले साल केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए बख्तरबंद वाहनों, असॉल्ट राइफलों, मिसाइलों इत्यादि सहित 101 रक्षा वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। साथ ही रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया था। इसलिए ऐसे संकेत मिले हैं कि बजट में न केवल एक वर्ष के लिए बल्कि अगले पांच वर्षों के अनुमान के अनुसार रक्षा क्षेत्र में खर्च की व्यवस्था की जाएगी। वर्ष 2020-21 के लिए रक्षा बजट में 4,71,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था लेकिन इसमें 1,33,000 करोड़ रुपये केवल पेंशन के लिए थे। इसलिए रक्षा खर्च के लिए केवल 3,23,000 करोड़ रुपये बचे थे। रक्षा आधुनिकीकरण के लिए लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये का प्रावधान भी था।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने भी सालाना प्रेस कांफ्रेंस में इस बार सरकार से पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बजट की मांग किए जाने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि पिछले साल एलएसी पर चीन के साथ जो कुछ हुआ, उससे यह साफ है कि सेनाओं की रीस्ट्रक्चरिंग और कैपेबिलिटी बढ़ाने की जरूरत है। युद्ध के बदलते तौर-तरीकों और बढ़ती आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक तकनीकों को देखते हुए सेना का आधुनिकीकरण किया जाना बहुत जरूरी हो गया है, इसलिए इस बार रक्षा मंत्रालय के जरिए सरकार से ज्यादा बजट की मांग की गई है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर जारी तनाव के मद्देनजर ‘टू फ्रंट वार’ के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करने को लेकर रक्षा बजट 6 लाख करोड़ के आंकड़े तक पहुंचाने के संकेत हैं। सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत सेनाओं के मॉडर्नाइजेशन प्लान की देखरेख कर रहे हैं। इस योजना के तहत अगले 3 वर्षों में तीनों सेनाओं का एकीकरण करके तीन नए कमांड बनाए जाने हैं। इनमें अंतरिक्ष एजेंसी, डिफेंस साइबर एजेंसी और मिलिट्री फोर्सेस स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन होंगे। तीन सेनाओं को एक करके वायु रक्षा कमान और सेना कमान बनाने के ब्लूप्रिंट पर काम चल रहा है।