नई दिल्ली, 02 जुलाई (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से चल रहे तनाव के बीच मोदी सरकार ने देश की सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। भारतीय वायुसेना को 12 सुखोई 30 एमकेआई और 21 रूसी मिग-29 लड़ाकू विमान खरीदने की मंजूरी मिल गई है। रूस इन दिनों मिग-29 लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने में जुटा हुआ है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये विमान चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बराबर हो जाएंगे और बहुत तेजी से ऊंचाई वाले स्थानों पर उड़ान भर सकेंगे। साथ ही दुश्मनों की पहचान करने में और ज्यादा कारगर होंगे। इसी तरह सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है जिसे ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लैस किया गया है।
भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही मौजूद 59 मिग-29 के लिए तीन स्क्वाड्रन हैं और पायलट भी इससे परिचित हैंं। नए मिग-29 के रडार और अन्य उपकरण भी आधुनिक मानकों के अनुरूप होंगे। आधुनिकीकरण के बाद मिग-29 विमान बहुत तेजी से और ऊंचाई वाले स्थानों पर उड़ान भर सकेंगे। यही नहीं ये विमान दुश्मनों की पहचान करने में और ज्यादा कारगर हो जाएंगे। ये विमान अगले 40 साल तक भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा दे सकेंगे। सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। भारत में मौजूद सुखोई विमानों को इस साल जनवरी महीने में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लैस किया गया था। सुखोई विमान हवा से हवा मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं। इसलिए वायुसेना ने 12 और सुखोई विमानों की जरूरत को देखते हुए खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में 38 हजार 900 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई। रक्षा मंत्रालय ने 59 मौजूदा मिग-29 के उन्नयन के साथ रूस से 21 अत्याधुनिक मिग-29 लड़ाकू विमान खरीदने की भी स्वीकृति दी है। नए मिग-29 की खरीद और पुराने 59 मिग-29 के अपग्रेडेशन पर 7 हजार 418 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा एचएएल से 12 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान 10 हजार 730 करोड़ रुपये में खरीदे जायेंगे। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना और नौसेना के लिए 248 एस्ट्रा बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइलों के अधिग्रहण को भी मंजूरी दी है। इसके अलावा डीआरडीओ द्वारा विकसित एक 1,000 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल को भी मंजूरी दे दी गई है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने कुल 38 हजार 900 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है जिनमें पिनाका गोला-बारूद, बीएमपी आयुध उन्नयन और थल सेना के लिए सॉफ्टवेयर परिभाषित रडार और जीपीएस से लैस गोला बारूद भी हैं। नौसेना और वायु सेना के लिए लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल सिस्टम और अतिरिक्त मिसाइल खरीदे जाने से तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ेगी जबकि पिनाका मिसाइल सिस्टम के आने से अतिरिक्त रेजिमेंट बनानी पड़ेगी। इसमें से 31 हजार 130 करोड़ रुपये के अधिग्रहण भारतीय उद्योग से किए जाएंगे। रक्षा उपकरणों को भारतीय रक्षा उद्योग के साथ मिलकर भारत में बनाया जाएगा। इसमें एमएसएमई की भी भागीदारी होगी।