नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (हि.स.)। सरकार ने गुरुवार को सेनाओं के लिए 28 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये हैं, जिसमें 27 हजार करोड़ रुपये भारतीय रक्षा उद्योग के लिए अलग किये गए हैं। इनसे स्वदेशी सामग्री की खरीद की जानी है। 25 हजार करोड़ रुपये मूल्य के 5 मामले स्वदेशी डिजाइन विकास और निर्माण श्रेणी के तहत अनुमोदित किये गए हैं, जिनके तहत सेना के लिए मॉड्यूलर पुल बनाये जाने हैं। सबसे ख़ास यह है कि इनमें 10 हजार करोड़ रुपये अवाक्स परियोजना के लिए मंजूर किये गए हैं, जिनसे भारतीय वायु सेना के लिए एयर इंडिया के 6 विमानों को ‘देशी आंखों’ से लैस किया जाना है।
रक्षा मंत्रालय में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने आज 2,000 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण एयर डिफेंस प्रणाली ‘आकाश तेज’ को मंजूरी दे दी है, जो भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी और भारत की रक्षा क्षमताओं को चीन के साथ बराबरी पर खड़ा करने की अनुमति देगा। इसके अलावा 10,500 करोड़ के उस कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है, जिसमें डीआरडीओ एयर इंडिया से छह एयरबस ए-320 लेगा और उनमें स्वदेशी एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स) लगाकर वायुसेना के लिए विकसित करेगा। पहले यह योजना नए एयरबस ए-330 जेट्स पर लगाने की थी। इन छह विमानों को फ्रांस भेजा जाना है, जहां उन्हें भारतीय वायु सेना और डीआरडीओ के मुताबिक नवीनीकृत किया जाएगा। रडार और सेंसर से लैस विमान मिलने के बाद वायुसेना की चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर निगरानी क्षमता और बेहतर होगी।
भारतीय वायुसेना के पास इस समय आवाक्स से लैस 3 फाल्कन विमान हैं, जिन पर इज़राइली रडार लगे हैं। यह 400 किलोमीटर तक 360 डिग्री कवरेज देने में सक्षम है। डीआरडीओ ने ब्राज़ीलियाई एयरोस्पेस कंपनी एम्ब्रायर के जेट पर पूरी तरह से देशी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके मल्टीसेंसर एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम विकसित किया था। इस तरह के चीन के पास 20 से ज्यादा और पाकिस्तान के पास आठ सिस्टम हैं। चीन का सिस्टम 470 किलोमीटर की दूरी तक 60 से ज्यादा विमानों को ट्रैक कर सकता है। पाकिस्तान के पास चार स्वीडिश और चार चीनी विमान हैं। इसलिए इस मामले में भारत को फिलहाल चीन और पाकिस्तान से काफी पीछे माना जाता है। अब सरकार से मंजूरी मिलने वायुसेना को इस तरह के 6 और विमान मिलेंगे जिससे भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के साथ ही यह क्षमता रखने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल हो जाएगा।
सरकार से मंजूरी मिलने के बाद 10,500 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत डीआरडीओ छह विमानों को एयर इंडिया के बेड़े से हासिल करेगा और उनमें एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स) लगाकर वायुसेना के लिए विकसित करेगा। यह विमान मिशन के दौरान दुश्मन के इलाके के अंदर 360 डिग्री निगरानी क्षमता देंगे। यह स्वदेशी कार्यक्रम 2018 में शुरू हुआ था जब वायुसेना के साथ डीआरडीओ को अवाक्स प्लेटफ़ॉर्म सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था, जिससे यह एक मिड-एयर ईंधन भरने वाले टैंकर के रूप में भी उपलब्ध हो सके। इसके बावजूद यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी, इसीलिए अब वायुसेना फ्रांस से छह एयर टू एयर रिफ्यूलर लीज पर लेने की तैयारी में है। फ्रांसीसी सरकार ने पांच से सात साल पुराने छह एयरबस-330 मल्टी-रोल ट्रांसपोर्ट टैंकर विमानों को 30 साल की गारंटी के साथ लीज पर देने का प्रस्ताव रखा है। सरकार इस सौदे के प्रति गंभीर है, क्योंकि अन्य प्रस्तावों की तुलना में यह फ्रांसीसी प्रस्ताव बहुत सस्ता है।