दरअसल कई दिनों के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को सुबह ग्वालियर पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान रेलवे स्टेशन पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद थी। प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी स्वयं उनके स्वागत के लिए स्टेशन पहुंची थीं। इस दौरान सिंधिया ने मीडियाकर्मियों से बातचीत की और उनके सवालों के जवाब भी दिये। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई खींचतान नहीं है। इस संबंध में पार्टी हाईकमान जो भी फैसला करेगा, वह सभी को मान्य होगा। उन्होंने प्रदेश में धड़ल्ले से हो रहे रेत के अवैध खनन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार अवैध खनन रोकने के प्रयास कर रही है, इसके बाद भी प्रदेश में अवैध खनन जारी है। इसके लिए मुझे दुख है। हमने चुनाव के समय साफ तौर पर अवैध खनन पर रोक लगाने का जनता से वादा किया था। इस खेल में जो लोग भी जुड़े हुए हैं, उनके खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
इस दौरान इमरती देवी ने पुन: सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि सभी चाहते हैं कि सिंधिया ही प्रदेश अध्यक्ष बनें। राहुल और सोनिया गांधी को इस पर फैसला लेकर सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की घोषणा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा तो हम सभी आंदोलन करेंगे। हम सब सिंधिया के साथ हैं और जो महाराज कहेंगे, वही हम करेंगे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कमनलाथ ने पिछले दिनों दिल्ली में सोनिया गांधी से मुकालात कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चयन को लेकर कवायद शुरू की थी, लेकिन अभी इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। इसी बीच सिंधिया को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इससे उनके समर्थक नाराज हो गए। इसके बाद प्रदेश में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया। सबसे पहले यह मांग सिंधिया की कट्टर समर्थक मानी जाने वाली प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने उठाई थी। इसके बाद तो उनके समर्थकों द्वारा लगातार अपने पदों से इस्तीफा देने और आंदोलन करने की चेतावनी दी जा रही है। गत दिवस यानि सोमवार को ग्वालियर-शिवपुरी-गुना क्षेत्र में कई जगह पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठकें हुई और उनमें सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने की रणनीति पर विचार विमर्श हुआ। कई जगह तो प्रदर्शन भी शुरू हो गए।