बिहार में शराब से हुई मौतों ने विपक्ष को दिया मुद्दा, अब तक 41 की मौत

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विपक्ष का तंज, सरकार सही तरीके से शराबबंदी लागू नहीं कर पाई

10 पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, तीन थानेदार भी शामिल



पटना, 06 नवंबर (हि.स.)। बिहार में दीपावली से लेकर गोवर्धन पूजा के दौरान गोपालगंज-बेतिया और समस्तीपुर जिले में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों ने जहां प्रदेश की नीतीश सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है वहीं विपक्ष को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा भी थमा दिया है। बीते चार दिन में बेतिया-गोपालगंज और समस्तीपुर में कुल 41 लोगों की मौत हो चुकी है।

 

शराबबंदी पर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जब बड़े-बड़े प्रवचन दे रहे थे तब उनके बगल में खड़े भाजपा के मंत्री के स्कूल के अंदर से दो ट्रक शराब बरामद हुई थी। पुलिस एफआईआर में इसका ज़िक्र भी है। मंत्री के नामजद भाई को आज तक बिहार पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। यह इनकी कथित शराबबंदी की सच्चाई है।

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री ड़ॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि पांच साल होने पर भी नीतीश सरकार ना ही सही तरीके से शराबबंदी कानून को लागू कर पायी है और ना ही अवैध शराब बनाने वालों पर नकेल कस पायी है। प्रदेश में डबल इंजन (जदयू-भाजपा) की कुशासन सरकार का ही परिणाम है कि जहरीली शराब पीने से बीते चार दिनों में करीब 50 लोगों की जान गई है।

 

राजद के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र यादव ने कहा कि शराबबंदी पर बड़बड़ करने वालों के राज में विगत तीन दिनों में ही जहरीली शराब से 50 से अधिक मौतें हो चुकी है लेकिन कुशासन सरकार के कान के नीचे जूं तक नहीं रेंग रही है। मुख्यमंत्री स्वयं, प्रशासन, माफिया और तस्कर पुलिस पर कार्रवाई की बजाय पीने वालों को कड़ा सबक सिखाने की धमकी देते रहते है।

 

पटना के वरिष्ठ अधिवक्ता छाया मिश्र ने कहा कि नीतीश सरकार ने शराबबंदी का बढ़िया कानून बनाया है लेकिन कहीं न कहीं प्रशासनिक स्तर पर चूक का ही परिणाम है कि प्रदेश में बीते चार दिनों के भीतर करीब कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश सिंह ने बताया कि नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण प्रदेश के गोपालगंज और बेतिया में आसानी से शराब उपलब्ध हो रहा है। प्रशासन को इस पर नजर रखनी चाहिए। कोविड-19 स्पेशलिस्ट डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि प्रशासन की चूक का ही परिणाम है कि प्रदेश में गत तीन चार दिनों में इतने लोगों की मौत हुई है।

 

बेतिया में शराब से हुई मौतें

 

हसीम खान, रमेश सहनी, धनीलाल राम, मुकेश पासवान, उमाशंकर साह, मदन राम, हनुमत सिंह, ठग हजरा, विकास राम, महाराज यादव, सिंकदर राम, देयालू यादव, बच्चा यादव, प्रकाश राम, झकड़ पासवान, जवाहर सहनी और खेदारु यादव।

 

गोपालगंज में मरने वालों के नाम

 

संतोष कुमार साह, दुर्गा शर्मा, योगेंद्र महतो, लाल बाबू सोनी, छोटे लाल प्रसाद, नीरज मांझी, सूरज राम, मुकेश राम, मनोरंजन सिंह, बलिराम राम, इंद्रजीत राम, राजकुमार मिश्र, चंद्रमा राम और मेवालाल साह। ये वे लोग हैं जिनका पोस्टमार्टम हुआ है। इनके अलावा गोपालगंज जिले में जिन मृतकों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ उनमें रमेश राम, रामबाबू यादव, राजमोहन राम, चुन्नू पांडे, ज्ञानचंद्र राम, मोहन राम हैं।

 

समस्तीपुर जिले में मृतकों के नाम

 

विनय कुमार सिंह (बीएसएफ जवान), श्यामानंदन चौधरी, मोहन कुमार (आर्मी जवान) और वीर चंद राय। शनिवार को समस्तीपुर के पटोरी थाना की रुपौली पंचायत में चार लोगों की मौत से हो गयी, जबकि पांच लोगों का अलग-अलग जगहों पर इलाज चल रहा है। इनमें से तीन की स्थिति नाजुक है। सभी की जहरीली शराब से मौत की आशंका जताई जा रही है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

बिहार में एक के बाद एक जहरीली शराब से मौत मामले में अबतक 10 पुलिसकर्मियों पर गाज गिर चुकी है। इन 10 पुलिसकर्मियों में से तीन थानेदार शामिल हैं। इन मामलों में कुल 18 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। बिहार पुलिस मुख्यालय ने इससे जुड़ी आधिकारिक जानकारी साझा की है।

 


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