कोरोना से मृत महिला का शव कब्रिस्तान में नहीं दफनाने दिया, हुआ दाह संस्कार

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मुंबई, 02 अप्रैल (हि.स.)। मालाड इलाके में कोरोना से मृत वृद्ध महिला का शव मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाने से ट्रस्टियों ने इनकार कर दिया। इसके बाद स्थानीय पुलिस व वस्त्रोद्योग मंत्री असलम शेख की पहल पर उसका दाह संस्कार मुंबई के मालाड इलाके के एक श्मशान गृह पर गुरुवार को किया गया।
मालाड इलाके के मालवणी में रहने वाली 65 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव महिला का इलाज जोगेश्वरी पूर्व के अस्पताल में हो रहा था। बुधवार रात को महिला की मौत हो गई थी। इसके बाद महिला के परिजन उसका शव दफनाने के लिए मालाड पश्चिम में स्थित मुस्लिम कब्रिस्तान ले गए लेकिन कब्रिस्तान के ट्रस्टियों ने इसका जोरदार विरोध किया। ट्रस्टियों का कहना था कि महिला की मौत जिस क्षेत्र में मौत हुई है, उसी क्षेत्र में उसका अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। ट्रस्टियों ने किसी भी कीमत पर महिला के शव को मुस्लिम कब्रिस्तान में नहीं दफनाने दिया।
इसी क्षेत्र से विधायक और वस्त्रोद्योग मंत्री असलम शेख ने बताया कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस से मरने वालों का अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति रिवाज से करने का निर्णय लिया है। साथ ही यह भी निर्देश हैं कि कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार जिस अस्पताल में पीड़ित की मौत होती है उसी के आस-पास के श्मशान अथवा कब्रिस्तान में किया जाना चाहिए। असलम शेख ने कहा कि इस नियम की जानकारी न होने की वजह से ही महिला के परिजन उसका शव मालाड कब्रिस्तान में ले गए थे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले सप्ताह कोरोना से मरने वालों के शव का अंतिम संस्कार जलाकर किए जाने संबंधी शासनादेश जारी किया था। अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक ने इसका जोरदार विरोध करते हुए कहा था कि कोरोना वायरस से मरने वालों का अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति रिवाजों के आधार पर ही होना चाहिए। महाविकास आघाडी सरकार में इस शासनादेश को लेकर उत्पन्न अंतर्विरोध की वजह से उक्त शासनादेश वापस ले लिया गया था। इसके विपरीत अब मुस्लिम समाज ने अपने ही समाज के कोरोना मृतकों को अपने कब्रिस्तान में दफनाए जाने का विरोध करना शुरू कर दिया है।

 


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