रांची/चाईबासा, 22 जनवरी (हि.स.)। झारखंड के चाईबासा जिले में पत्थलगड़ी का विरोध करने पर मारे गये सभी सात लोगों के शव पुलिस ने बुधवार को जंगल से बरामद किये। रविवार को पत्थलगड़ी समर्थक इन सात लोगों का गांव से दिनदहाड़े अपहरण कर जंगल में ले गये और सभी की हत्या कर जंगल में फेंक दिया। मंगलवार को इनके शव पड़े होने की जानकारी मिलने के बाद अति नक्सल प्रभावित जंगल में पुलिस नहीं जा सकी थी। शव मिलने की जानकारी मिलने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस सामूहिक हत्याकांड पर गहरा दुख प्रकट कर आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दियेे।
सरकार के पत्थलगड़ी मामले में सभी आरोपितों के मुुुुुुकदमे वापस लेने के निर्णय के बाद समर्थकों ने रविवार को ग्रामीणों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में पत्थलगड़ी समर्थकों ने पत्थलगड़ी का विरोध करने वाले उपमुखिया जेम्स बूढ़ सहित अन्य लोगों को पीटा और उपमुखिया जेम्स बूढ़, लोमा बूढ़, जावरा बूढ़, सोंगे टोपनो, एतवा बूढ़, निर्मल बूढ़ और बोनाम लोंगा को उठाकर जंगल में ले गए और सभी की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने तीन दिन बाद बुधवार को शव बरामद किये।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पश्चिम सिंहभूम के बुरुगुलीकेला गांव की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए गहरा दुःख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि इस घटना से मैं आहत हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून सबसे ऊपर है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। राज्य की पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कानून का राज है और आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बुधवार को एडीजी मुराली लाल मीना ने बताया कि घटनास्थल बुरुगुलीकेरा गांव सोनुआ से 35 किलोमीटर दूर सुदूर जंगल और घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है। पुलिस ने 19 घंटे के सर्च ऑपरेशन के दौरान अति नक्सल प्रभावित गुलीकेरा गांव से तीन किलोमीटर दूर जंगल से शव बरामद किये। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
संविधान विरोधी है पत्थलगड़ी का स्वरूप
पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है। इसमें झारखंड के कुछ आदिवासी इलाकों में पत्थलगड़ी कर ग्राम सभाओं के सर्वशक्तिशाली होने का ऐलान किया जाता है। असामाजिक तत्व अब इसके प्रारूप में बदलाव कर गांव के बाहर पत्थलगड़ी कर रहे हैं। इसके तहत एक बड़े चपटे पत्थर को जमीन पर गाड़ा जाता है। इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेदों (आर्टिकल) की गलत व्याख्या करते हुए ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए उकसाया जाता है। सरकारी सुविधाओं और बच्चों के स्कूल जाने तक का विरोध किया जाता है। कानून को दरकिनार करते हुए पंचायत कर लोगों को सजा सुनाई जाती है। पत्थलगड़ी समर्थक पारंपरिक हथियारों के साथ गांव के बाहर पहरा देते हैं। इन गावों में पुलिस या किसी भी नए आदमी को नहीं घुसने दिया जाता है। पत्थलगड़ी समर्थक सरकारी अधिकारी के कानूनी आदेश और निर्देश को नहीं मानने, विधि-व्यवस्था को अपने हाथों में लेने, अपना बैंक खोलने की कोशिश करने व अपना सिक्का चलाने की भी कोशिश की थी।
19 जून 2018 को खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थकों पर लगा था गैंगरेप का आरोप
झारखंड में पत्थलगड़ी के समर्थन में अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन सबसे बड़ी वारदात खूंटी में हुई थी। पत्थलगड़ी समर्थक हिंसा के बल पर अपने विरोध में उठने वाली आवाज को दबाते रहते थे। खूंटी जिले में ग्राम सभा का पैरोकार बनने वाले पत्थलगड़ी नेताओं पर गैंगरेप का आरोप लग चुका है। 19 जून 2018 को खूंटी के कोचांग में नाटक मंडली की पांच युवतियों के साथ गैंगरेप हुआ था। ये युवतियां नुक्कड़ नाटक करने गई थींं। जांच पड़ताल के दौरान खुलासा हुआ था कि पत्थलगड़ी नेता जुनास तिड़ू के कहने पर पीएलएफआई के कई कट्टर उग्रवादियों ने युवतियों के साथ गैंगरेप किया था। बाद में गैंगरेप में शामिल उग्रवादी चाईबासा के कराईकेला थाना क्षेत्र में पकड़े गए थे।
24 जून, 2018 को पुलिस कर्मी को किया था अगवा
गैंगरेप की घटना के बाद मामला बढ़ा तो पत्थलगड़ी समर्थित नेता जुनास तिड़ूए व प्रोफेसर यूसुफ पूर्ति ने जनसभा के लिए खूंटी जिले के घाघरा में भीड़ जुटाई थी। मामले की जानकारी के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो जनसभा में मौजूद भीड़ ने हिंसा का रूप धारण कर लिया और खूंटी के पूर्व सांसद कड़िया मुंडा के घर में तैनात हथियारबंद तीन जवानों को बंधक बना लिया। बाद में पुलिसिया कार्रवाई हुई तो राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को लेकर हंगामा हुआ था।
बिरसा मुंडा के इलाके में पत्थलगड़ी समर्थक सक्रिय
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर बिरसा मुंडा की कर्मभूमि वाले क्षेत्र में भी पत्थलगड़ी समर्थक सक्रिय हैं। बिरसा की जन्मस्थली खूंटी के कोचांग, उलीहातु इलाके में पत्थलगड़ी का पहला प्रभाव देखा गया था। इसके बाद झारखंड के बंदगांव, गुदड़ी इलाके के घने जंगल इलाके में पत्थलगड़ी समर्थकों की सक्रियता बताई जाती है। इन इलाकों में नक्सलियों का खौफ है।
सोरेन सरकार ने समर्थकों पर लगे मुकदमों को वापस लेने के लिये दिये थे निर्देश
सरकार गठन के बाद 29 दिसम्बर, 2019 को हेमंत सोरेन ने पहली बैठक में पत्थलगड़ी के दौरान हुए सारे मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया था। बैठक के बाद कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया था कि पत्थलगड़ी करने के क्रम में जिन व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किए गए हैं, उन्हें वापस लेने का निर्णय लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।