होम क्वारंटीन खत्म करने के फैसले पर उप-राज्यपाल और केजरीवाल सरकार आमने सामने
नई दिल्ली, 20 जून (हि.स.)। दिल्ली डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) की बैठक शनिवार को खत्म हो गई है। बैठक में होम क्वारंटीन खत्म करने के उप-राज्यपाल अनिल बैजल के आदेश पर सहमति नहीं बनी है। अब डीडीएमए की बैठक शाम 5 बजे दोबारा होगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उप-राज्यपाल के उस फैसले का विरोध किया है जिसमे कहा गया था कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हैं, उन्हें हर हाल में 5 दिनों तक सरकारी क्वारंटीन फैसिलिटी में रहना होगा। बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि पहले से ही स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है, कैसे क्वारंटीन केंद्रों पर हजारों रोगियों के लिए डॉक्टरों और नर्सों की व्यवस्था करना संभव होगा।
उन्होंने कहा कि जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद देशभर में असिम्प्टोमैटिक और हल्के लक्षणों वाले लोगों के लिए घर में आइसोलेट होने की अनुमति दे रहा है तो दिल्ली में अलग-अलग नियम क्यों लागू किए जा रहे हैं। बैठक में केजरीवाल ने अनिल बैजल के इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन (संस्थागत एकांतवास) पर दिए गए आदेश का पुरजोर विरोध किया है। सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल ने बैठक में इन बिंदुओं पर उप-राज्यपाल के आदेश का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर कोरोना पॉजिटिव मरीज हल्के लक्षण/बिना लक्षण वाले ही होते हैं इनको क्वारंटीन करने के लिए व्यवस्था कहां से करेंगे? रेलवे ने आइसोलेशन कोच दिए हैं लेकिन उसके अंदर इतनी गर्मी में कोई कैसे रहेगा? हमारी प्राथमिकता गंभीर मरीजों के लिए होनी चाहिए या बिना लक्षण और हल्के लक्षण वालों के लिए? मेडिकल स्टाफ की पहले ही कमी है, अब हज़ारों मरीजों के लिए क्वारंटीन सेंटर पर डॉक्टर नर्स कहां से आएंगे? केजरीवाल ने कहा कि क्वारंटीन होने के डर से अब हल्के लक्षण और बिना लक्षण वाले लोग टेस्ट कराने से बचेंगे। इससे संक्रमण और फैलेगा। इससे दिल्ली में अफरातफरी हो जाएगी और पूरी व्यवस्था बिगड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में ऐसा कहीं नहीं किया गया कि बिना लक्षण वाले मरीज़ों को कोई सरकार क्वारंटीन सेंटर में लेकर आए।
उल्लेखनीय है कि उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश दिया है कि अब दिल्ली में कोई भी कोरोना पॉजिटिव होगा तो उसको कम से कम 5 दिन के लिए संस्थागत एकांतवास में जाना अनिवार्य होगा।