दलाई लामा की जासूसी करा रहा चीन

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भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला रैकेट के खुलासे से मिली जानकारी   चीनी खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली में रह रहे निर्वासित तिब्बतियों को दी थी रिश्वत



नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)। भारत में मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा चीनी रैकेट पकड़े जाने के बाद जांच में अब खुलासा हुआ है कि चीन दलाई लामा के बारे में घूसखोरी का सहारा लेकर जासूसी करा रहा है। इनकम टैक्स विभाग ने ​11 अगस्त को चीनी नागरिकों और उसके सहयोगियों के 21 परिसरों में छापे मारकर हवाला कारोबार से जुड़े चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए चार्ली पेंग ने ही कबूल किया है कि उसे दलाई लामा और उनके करीबी सहयोगियों की जानकारी जुटाने का टास्क चीनी खुफिया एजेंसियों ने दिया था, जिसके लिए उसने दिल्ली में कुछ लामाओं को रिश्वत भी दी है।
पूछताछ में पता चला है कि चार्ली पेंग ने 2014 में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करके खुद को तिब्बती शरणार्थी बताकर एक भारतीय युवती से शादी की। पेंग को पहली बार 2018 में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने दो फर्जी आधार कार्ड और एक जाली भारतीय पासपोर्ट जब्त करने के बाद गिरफ्तार किया था। उसे धोखाधड़ी, जालसाजी और पासपोर्ट अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज करके जेल भेजा गया था। पेंग के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था लेकिन 2019 में उसे जमानत मिल गई। इसके बाद वह हवाला कारोबार और चीनी खुफिया एजेंसियों के लिए जासूसी के धंधे से जुड़ गया​। आयकर विभाग ने 11 अगस्त को धनशोधन (मनी लांड्रिंग) और हवाला लेन-देन के सिलसिले में दिल्ली, गुरुग्राम और गाजियाबाद में चीनी नागरिकों, उनके भारतीय सहयोगियों के 21 परिसरों पर छापे मारे। इस दौरान चार्ली पेंग के कहने पर खुलवाये गए 40 डमी बैंक खातों में 10 अरब रुपये जमा होने का पता चला।
छापे के दौरान ​मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट चलाने और चीनी खुफिया एजेंसियों के लिए जासूसी करने के आरोप में चीनी नागरिक चार्ली पेंग (चार्ली लुओ सांग ) को गिरफ्तार किया गया था। आयकर विभाग सहित कई जांच एजेंसियों ने उससे पूछताछ की है जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं। चार्ली पेंग के जरिए चीनी खुफिया एजेंसियों ने उत्तरी दिल्ली के मजनू का टीला में रहने वाले लामा और भिक्षुओं को दलाई लामा की जासूसी करने के लिए रिश्वत दी है। पेंग ने अपने कार्यालय के कर्मचारियों के जरिये रिश्वत भिजवाई। अब रिश्वत लेने वालों की पहचान की जा रही है। पेंग ने दावा किया है कि रिश्वत के रूप में दिए जाने वाले पैकेट में आमतौर पर 2 से 3 लाख रुपये होते थे। चीनी खुफिया एजेंसियों ने उसे तिब्बती शरणार्थियों पर नजर रखने और दलाई लामा की टीम के साथ संपर्क स्थापित करने का टास्क दिया था।
उसने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए चीन में बैठे अपने आकाओं से बात करने में चीनी एप ‘वी चैट’ का इस्तेमाल किया। भारत सरकार ने 29 जुलाई को सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दों का हवाला देते हुए 59 चीनी एप बैन कर दिए, जिसके बाद आयकर विभाग को भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के इस चीनी रैकेट की जानकारी मिली जिस पर 11 अगस्त को चीनी नागरिकों और उसके सहयोगियों के 21 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि चीनी कंपनियों की सहायक कंपनियों और संबंधित लोगों ने इन शेल कंपनियों के जरिए भारत में फर्जी बिजेनस करने के नाम पर करीब 100 करोड़ रुपये का एडवांस लेकर इन पैसों के जरिए हवाला का कारोबार किया गया है।

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