अब तक पश्चिम बंगाल में 203 जगहों पर हो चुका है कटमनी के खिलाफ आंदोलन
कोलकाता, 14 जुलाई (हि.स.)। विभिन्न सरकारी परियोजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के एवज में कटमनी के विरोध में राज्य भर में लगातार सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का घेराव और लोगों का आंदोलन जारी है। पुलिस निदेशक की ओर से राज्य के गृह विभाग के पास जमा की गई रिपोर्ट के मुताबिक 16 जून को जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के नेताओं को लोगों से ली गई रिश्वत का 25% हिस्सा लौटाने का निर्देश दिया था उसके 2 दिन बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हो गई थी और 10 जुलाई तक कुल 203 जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अधिकतर जगहों पर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का घेराव करने सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे थे लेकिन समय पर पुलिस के पहुंच जाने की वजह से बड़ी घटना को टाला जा सका है। हालांकि किसी भी जगह अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि लोगों ने सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को घेरा जरूर है, नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन भी किया है लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर लोग बहुत अधिक उत्साहित नहीं थे।
सचिवालय सूत्रों के हवाले से इस बात की पुष्टि की गई है कि सबसे अधिक विरोध प्रदर्शन हुगली जिले में हुए हैं। यहां 32 जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतरकर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के खिलाफ आंदोलन किया है। उसके बाद पूर्व बर्दवान में 29 जगहों पर, बांकुड़ा में 28 जगहों पर और बीरभूम जिले में 23 जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतरकर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला है। इसके अलावा नदिया, उत्तर 24 परगना और पुरुलिया में 11 जगहों पर, पश्चिम बर्दवान, जलपाईगुड़ी, झाड़ग्राम, पूर्व मेदिनीपुर में छह जगहों पर, मालदा, उत्तर दिनाजपुर और पश्चिम मेदिनीपुर में तीन तीन जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुआ है। इन जिलों के अलावा दक्षिण 24 परगना में 10 जगहों पर, कूच बिहार में 9 जगहों पर, मुर्शिदाबाद और कोलकाता में दो जगहों पर, दक्षिण दिनाजपुर और अलीपुरद्वार में एक एक जगह पर कटमनी के खिलाफ लोगों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया है।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि जिन जगहों पर इस बार लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई है वहां सबसे अधिक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। खुफिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अधिकतर जगहों पर गांव वालों ने बिना किसी राजनीतिक पार्टी की मदद के विरोध प्रदर्शन किया है। इधर सचिवालय ने निर्देश दिया है कि जहां भी लोग सड़कों पर उतर कर सत्तारूढ़ पार्टी का घेराव करने की कोशिश करें वहां तत्काल पुलिस पहुंचकर हालात को संभाले। वैसे पुलिस ने ऐसे मामलों में रक्षात्मक रवैया अपनाने का ही निर्णय लिया है।