नई दवाओं के विकास को सीएसआईआर-सीडीआरआई व सिप्ला ने किया समझौता

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शोध संस्थान एवं फार्मा उद्योग की साझेदारी से नई दवाओं के विकास का रास्ता साफ़ होगा  



लखनऊ, 24 दिसम्बर (हि.स.)। सीएसआईआर-सीडीआरआई और चर्चित भारतीय बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी सिप्ला लिमिटेड ने विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए हाथ मिलाया है। इसके तहत दोनों ने आवश्यक उन्नत दवाओं के विकास एवं उपलब्ध दवाओं के पुन: उपयोग (रिपर्पजिंग) के माध्यम से नई दवाओं के विकास के लिए परस्पर सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाते हुए मंगलवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पहल से देश की स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार एवं विकास में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर सीडीआरआई के निदेशक डॉ. तपस कुमार कुंडू ने बताया कि सीएसआईआर-सीडीआरआई देश का प्रीमियर ड्रग डेवलपमेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट है। कंपनी के लिए यह एक शानदार क्षण है, जब वह सिप्ला जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी से सहयोग और सक्रिय भागीदारी के माध्यम से सर्वसुलभ एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवा के अपने मिशन की पूर्ति के लिए न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यह एक सरकारी संस्थान (पब्लिक) और एक फार्मास्युटिकल उद्योग (प्राइवेट) की भागीदारी (पार्टनरशिप) का एक अनूठा प्रयास है, जो इस देश में विकसित सर्वसुलभ एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं को दुनियाभर में मुहैया करवाने का प्रयास करेगा।
सिप्ला के डॉ. वाई के हामिद ने कहा कि सीएसआईआर और सीडीआरआई के साथ सिप्ला का जुड़ाव 1942 से चल रहा है। सिप्ला सीडीआरआई और आईआईसीटी की प्रयोगशालाओं में विकसित विशेषज्ञताओं से वर्षों से लाभ ले रहा है। अतीत में सीएसआईआर की दो विभूतियां डॉ. नित्या आनंद और डॉ. एवी रामाराव सिप्ला के साथ हम निकटता से जुड़े रहे हैं।
अब सीएसआईआर के नेतृत्व में सीडीआरआई और सिप्ला न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर नई दवाओं के विकास के लिए एक भविष्य के कार्यक्रम पर विचार कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस भागीदारी के आगामी परिणाम बेहतरीन होंगे और यह औषधि अनुसंधान और विकास के माध्यम से देश कि प्रगति के लिए सार्वजनिक और निजी साझेदारी (पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप) का एक उत्कृष्ट उदाहरण साबित होगा है।

 


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