सात साल के सर्वोच्च स्तर पर क्रूड, पेट्रोलियम की कीमतों में तत्काल राहत के आसार नहीं
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (हि.स.)। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों के मामले में भारत को फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार से राहत मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) लगातार तेजी का रुख बनाए हुए है। कच्चे तेल की कीमत पिछले सात साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। माना जा रहा है कि नवंबर के पहले पखवाड़े तक कच्चे तेल की कीमत में तेजी का दौर जारी रह सकता है। इसकी वजह से तेल की 80 फीसदी से ज्यादा की जरूरत के लिए आयात पर निर्भर करने वाले भारत जैसे देश की परेशानी बढ़ सकती है।
पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड ने 86 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को भी पार कर लिया। कारोबारी सत्र के दौरान ब्रेंट क्रूड 86.10 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया। हालांकि अंत में ब्रेंट क्रूड 85.84 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) भी 83.84 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंचने के बाद 83.33 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचकर बंद हुआ। इस कारोबारी सप्ताह में डब्ल्यूटीआई क्रूड में भी 1.5 फीसदी की तेजी आ चुकी है। इसके कारण इसकी कीमत सोमवार को 83.93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गई थी।
जानकारों का कहना है कि मेक्सिको की खाड़ी से अभी तक कच्चे तेल का उत्पादन सुचारू रूप से चालू नहीं हो पाने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आवक में कमी बनी हुई है। तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक ने भी फिलहाल कच्चे तेल के उत्पादन में किसी भी तरह की बढ़ोतरी करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आवक में जल्द सुधार होने की उम्मीद भी नहीं है।
दूसरी ओर, अमेरिका के कच्चे तेल भंडार में आई कमी, कोरोना संक्रमण में कमी आने की वजह से पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में हुई बढ़ोतरी, नेचुरल गैस के उत्पादन में आई कमी और एशियाई देशों में कोयले के उत्पादन में हुई कमी के कारण कच्चे तेल की मांग पिछले सात साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। इसकी वजह से क्रूड ऑयल लगातार छलांग लगाकर महंगा होता जा रहा है। इस बीच इराक के तेल मंत्री एहसान अब्दुल जब्बार ने कच्चे तेल की कीमत के प्रति बैरल 100 डॉलर के स्तर तक पहुंचने की बात कहकर क्रूड ऑयल मार्केट सेंटिमेंट को और भी ज्यादा निगेटिव कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल में तेजी का ये दौर अभी कुछ और समय तक जारी रह सकता है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। हालांकि जानकारों का कहना है कि तेजी का ये दौर नवंबर में थम जाना चाहिए। नवंबर के महीने में मेक्सिको की खाड़ी में कच्चे तेल का उत्पादन पहले की तरह ही पूरी क्षमता के साथ शुरू हो जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही अक्टूबर के अंत तक अमेरिकी तेल भंडार के भी स्टैंडर्ड लिमिट तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इसके अलावा मानसून की वापसी का क्रम पूरा हो जाने के कारण एशियाई देशों में कोयले का उत्पादन भी एक बार फिर ढर्रे पर आ जाने की उम्मीद की जा रही है। ऐसा हो जाने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग को लेकर बना दबाव कम हो सकता है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में एक बार फिर कमी आने की शुरुआत हो सकती है।