कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी जारी, एक महीने में 11 डॉलर हुआ महंगा

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की लगातार बढ़ती मांग के कारण कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) एक बार फिर महंगाई के नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ने लगा है। पिछले एक महीने के दौरान कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल 11 डॉलर से अधिक की तेजी आ चुकी है। पिछले कारोबारी सत्र में ही ब्रेंट क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 1.83 डॉलर की तेजी आ गई है, जिसकी वजह से ब्रेंट क्रूड पिछले 5 महीने के सर्वोच्च स्तर 76.19 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच कर कारोबार कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिल रही खबरों के मुताबिक पिछले 1 सप्ताह के दौरान कच्चे तेल की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है। दरअसल कोरोना संक्रमण पर वैश्विक स्तर पर हो रहे नियंत्रण की वजह से दुनिया भर में कारोबारी गतिविधियां पटरी पर लौटने लगी हैं। ज्यादातर देशों से लॉकडाउन को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। इसके कारण आर्थिक जगत में तेजी दिखने लगी है। दैनिक जीवन की गतिविधियों के साथ ही कारोबारी गतिविधियों में आई तेजी के कारण दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कच्चे तेल की मांग पर लगातार दबाव बना हुआ है। दूसरी ओर कच्चे तेल के उत्पादन में पिछले 1 महीने के दौरान काफी कमी आई है। मैक्सिको की खाड़ी के तेल कुओं की दुर्घटना और बाद में आए चक्रवाती तूफान इडा की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आवक में कमी आई है।

अगस्त महीने में मेक्सिको की खाड़ी में स्थित ऑयल कंपनी पेट्रोलियोस मैक्सिकानोस पेमेक्स के एक क्रूड ऑयल प्रोडक्शन प्लेटफार्म पर आग लग जाने की वजह से बड़ा हादसा हो गया था, जिसकी वजह से ऑयल प्लेटफॉर्म के निकटवर्ती सभी 125 तेल कुओं से कच्चे तले का उत्पादन बंद करना पड़ा। इस हादसे से मैक्सिको की खाड़ी से होने वाला कच्चे तेल का उत्पादन उबरा भी नहीं था कि चक्रवाती तूफान इडा ने मैक्सिको की खाड़ी से होने वाले तेल उत्पादन को लगभग पूरी तरह से ठप कर दिया। अभी भी यहां के सभी ऑयल प्लेटफॉर्म्स को सुचारू तरीके से चालू नहीं किया जा सका है। इसकी वजह से यहां से कच्चे तेल के औसत दैनिक उत्पादन में करीब 4.25 लाख बैरल की कमी आ गई है।

कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नेचुरल गेस के उत्पादन में आई कमी की वजह से भी काफी असर पड़ा है। पिछले 1 महीने के दौरान दुनिया भर में नेचुरल गैस के उत्पादन में भी काफी कमी आई है। अगस्त महीने से लेकर अभी तक के बीच नेचुरल गैस के उत्पादन में करीब 46 फीसदी की कमी आ चुकी है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेचुरल गैस की कीमत ने जोरदार छलांग लगाई है। ऐसी स्थिति में नेचुरल गैस के बड़े औद्योगिक ग्राहक खर्च बचाने के लिए पेट्रोल और डीजल जैसे अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की ओर शिफ्ट हो गए हैं। इसकी वजह से कच्चे तेल की मांग में और भी बढ़ोतरी हो गई है।

जानकारों का कहना है कि सिर्फ नेचुरल गैस की जगह पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की ओर शिफ्ट करने वाले औद्योगिक ग्राहकों की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में रोजाना 10 लाख बैरल की बढ़ोतरी हो गई है। कोरोना संक्रमण के नियंत्रित होने के कारण पहले ही कच्चे तेल की मांग में तेजी आई हुई है। उसके ऊपर से नेचुरल गैस के उत्पादन में आई कमी की वजह से कच्चे तेल की मांग में हुई इस नई बढ़ोतरी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग के साथ ही इसकी कीमत भी लगातार तेज हो रही है।

अगस्त महीने में 65.28 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा ब्रेंट क्रूड छलांग लगाकर 76.19 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह 62.12 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर कारोबार कर रहा वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) 72.23 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर पहुंच गया है। पिछले कारोबारी सत्र में ही ब्रेंट क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 1.83 डॉलर की और डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 1.67 डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। कच्चे तेल की कीमत में हुई इस बढ़ोतरी के बावजूद भारतीय उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात ये है कि यहां पेट्रोल और डीजल की कीमत में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।

जानकारों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी इसी तरह जारी रही, तो अपनी 80 फीसदी से अधिक जरूरत के लिए आयात पर निर्भर करने वाले भारत जैसे आयातक देशों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि राहत की बात ये है की तेल निर्यातक देशों (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने अक्टूबर से कच्चे तेल के उत्पादन में क्रमिक तौर पर बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। ओपेक और ओपेक प्लस देशों की बीच बनी इस सहमति के साथ ही मेक्सिको की खाड़ी में भी जल्द ही कच्चे तेल के उत्पादन की स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है। अगर ऐसा हुआ तो अक्टूबर के महीने से कच्चे तेल की कीमत में एक बार फिर गिरावट का दौर शुरू हो सकता है। जिससे भारत जैसे कच्चे तेल के आयातक देशों को काफी राहत मिल सकती है।


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