नई दिल्ली, 15 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण को जमानत दे दी है। एडिशनल सेशंस जज कामिनी लॉ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये आदेश जारी किया। कोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद को 25 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली का चुनाव प्रभावित न हो, इसलिए चार हफ्ते के लिए दिल्ली से बाहर सहारनपुर में रहें।
फैसला सुनाते समय चंद्रशेखर के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि हमें जामा मस्जिद जाकर आभार जताने की अनुमति दी जाए। तब कोर्ट ने कहा कि रिहाई के 24 घंटे के अंदर आप जहां चाहें जाकर आभार व्यक्त करें। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी को निर्देश दिया कि चंद्रशेखर को एस्कॉर्ट सुरक्षा उपलब्ध कराई जाये। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को चंद्रशेखर के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर की जानकारी दी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपित के पूर्व इतिहास को ध्यान में रखते हुए जमानत देने पर फैसला होना चाहिए। दिल्ली पुलिस ने कहा कि चंद्रशेखर ने ई-मेल के जरिए प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी लेकिन अनुमति नहीं दी गई थी। तब कोर्ट ने कहा कि ये तो तय था कि अनुमति नहीं मिलेगी क्योंकि आप किसी भी किस्म का बोझ अपने कंधे पर नहीं लेना चाहते थे।
सुनवाई के दौरान जब दिल्ली पुलिस के वकील ने प्रदर्शन के दौरान के शर्तों को पढ़ना शुरू किया तो कोर्ट ने कहा कि जब आपने अनुमति ही नहीं दी तो शर्ते कहां लागू होती हैं। आप कुछ मामले में लोगों को उठा लेते हैं और कुछ मामले में कुछ नहीं करते। यह पूरे तरीके से भेदभाव पूर्ण है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चन्द्र शेखर के वकील महमूद प्राचा से कहा कि आप चंद्रशेखर के ट्वीट के बारे में हमें बताइए। तब महमूद प्राचा ने चन्द्र शेखर के उस ट्वीट के बारे में बताया जिसमें कहा गया था कि “Ambedkar said don’t think I’ve died after I’m dead, I’ll be alive till the Constitution is alive”। प्राचा ने चंद्रशेखर के दूसरा ट्वीट भी पढ़ा जिसमें लिखा था कि जब मोदी डरता है तब पुलिस को आगे करता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये ट्वीट समस्या पैदा करने वाला है। हमारी संस्थाओं का आदर होना चाहिए। तब महमूद प्राचा ने कहा कि इस ट्वीट का इशारा धारा 144 लगाने की ओर था। तब कोर्ट ने कहा कि कई बार धारा 144 लगाने की जरूरत पड़ती है। अपने अधिकारों की बात करते हैं तो हमें अपने कर्तव्यों की बात भी याद रखनी चाहिए।
पिछले 14 जनवरी को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को चंद्रशेखर के खिलाफ दायर सभी एफआईआर की सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा था कि हिंसा के सबूत कहां हैं। धरना देने में क्या गलत है, क्या आपने संविधान पढ़ा है। कोर्ट ने कहा था कि आप ऐसे बात कर रहे हैं जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो। आप कानून का वो प्रावधान दिखाइए जिसमें धार्मिक स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
चंद्रशेखर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 20 दिसम्बर को गिरफ्तार किया गया था। चंद्रशेखर ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ एफआईआर में कोई साक्ष्य नहीं मिला है।