देश का पहला पोलिनेटर पार्क हल्द्वानी में तैयार
हल्द्वानी, 29 दिसम्बर (हि.स.)। परागण में मददगार कीट, पतंगों और पक्षियों के संरक्षण के लिए देश का पहला पोलिनेटर पार्क उत्तराखंड में हल्द्वानी के एफडीआई में तैयार हो गया है। इसका उद्घाटन मंगलवार को बटर फ्लाई रिसर्च भीमताल के फाउंडर पीटर स्मेटिक और वन अनुसंधान केंद्र के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने किया।
रामपुर रोड स्थित एफटीआई में लगभग चार एकड़ में फैले इस पार्क को वन अनुसंधान केंद्र ने विकसित किया है। इसमें मधुमक्खियों और पक्षियों की करीब 40 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। तितली विशेषज्ञ पीटर स्मेटिक ने कहा कि यह उत्तराखंड ही नहीं देश का पहला पोलिनेटर पार्क है। इसका निर्माण वनस्पति को संतुलित करने के उद्देश्य से किया गया है। यहां विलुप्त होती प्रजातियों को संरक्षित करेगा। इनमें मधुमक्खी, तितली व अन्य कीट-पतंग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से मधुमक्खियों और तितलियों को बेहतर पराग नहीं मिल पा रहा है। इससे हमारे फल और फूल पोषण युक्त नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने कहा अगर यह प्रजाति नहीं रहेंगी तो हमारे फूड की प्रोडक्टिविटी पर भी इसका व्यापक असर पड़ेगा। उन्होंने हमें शहर में गार्डन और विकसित होने वाले पार्कों में कुछ जंगली पेड़ भी लगाने चाहिए, जिनमें छोटे जीव-जंतु और कीड़े अपना वास कर सकें।
वन अनुसंधान केंद्र के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि पोलिनेटर के ऊपर ही हमारी फूड सिक्योरिटी डिपेंड करती है। फल-पौधे पॉलिनेशन पर ही निर्भर होते हैं। कृषि क्षेत्र में बढ़ते फर्टिलाइजर और पॉल्यूशन से कुछ प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हें यहां संरक्षित किया जाएगा।
वन क्षेत्र अधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि लगभग छह महीने में पार्क पूर्ण रूप से विकसित हो जाएगा। पार्क में जगह-जगह कुंड बनाए गए हैं। चिड़ियों के घोसले रखे गए हैं। जामुन,नीम और सेमल के पेड़ लगाए गए हैं। पोलिनेटर पार्क को बनाने के लिए वन अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों को देसी प्रजाति की मधुमक्खियों को तलाश में सबसे अधिक मेहनत करनी पड़ी है। वन अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में यूरोपियन प्रजाति की मधुमक्खियों का पालन बढ़ता जा रहा है। इस वजह से देसी प्रजातियों की मधुमक्खियों पर संकट है। बड़ी मुश्किल से कुमाऊं के गरुण क्षेत्र में एक व्यक्ति के पास ऐसी प्रजाति की मधुमक्खियां मिलीं।
वन अनुसंधान केंद्र के ज्योलिकोट रेंज के जीआरएफ अंबिका अग्निहोत्री और जीआरएफ हल्द्वानी रेंज किरण बिष्ट ने बताया है कि जितनी भी नेटिव स्पीशीज हैं, उन सभी का डेटाबेस तैयार कर लोगों को उनके बारे में बताया जाएगा।