कॉर्पोरेट ​कल्चर में बदलेंगे अब ओएफबी ​के ​41 कारखाने ​, कैबिनेट की मंजूरी

0

इस ऐतिहासिक फैस​ले से कर्मचारियों की कोई चिंता नहीं होनी चाहिए: राजनाथ
 अंग्रेजों के जमाने में गठित ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा



नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)​​​​​ लंबे समय से ​इन्तजार के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ​​आयुध निर्माणी बोर्ड (​​ओएफबी)​ के 41 कारखानों को सात कॉर्पोरेट संस्थाओं में ​बदले जाने की मंजूरी दे दी​ अब इन्हें रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) की तर्ज पर कॉर्पोरेट​ कल्चर में ​बदला जायेगा​ आज मंजूरी मिलने से इन रक्षा कारखानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के अलावा इन्हें लाभदायक बनाने का रास्ता साफ हो गया है। मौजूदा समय में 200 वर्ष से ज्यादा पुराना ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड 41 कारखानों को नियंत्रित करता है। ओएफबी का निगमीकरण करने से आयुध आपूर्ति की स्वायत्ता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार होगा। ​​
 
​ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड की स्थापना ​1775 में अंग्रेजों ने की थी लेकिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल का फैसला लागू होते ही इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए बोर्ड से जुड़े 82 हजार कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि उन्हें इस फैसले से कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। उनकी सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा, जिसका उल्लेख कैबिनेट नोट में भी किया गया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा निर्णय है जिससे देश रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। सरकार का यह कदम इन कंपनियों को स्वायत्तता देगा और जवाबदेही और दक्षता में सुधार करने में मदद करेगा। ओएफबी के पुनर्गठन का उद्देश्य आयुध कारखानों को उत्पादक और लाभदायक संपत्तियों में बदलना, प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, गुणवत्ता में सुधार करना और लागत दक्षता हासिल करना है।
 
केंद्र सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) को एक या एक सौ प्रतिशत से अधिक सरकारी स्वामित्व वाली कॉरपोरेट संस्थाओं में परिवर्तित करने का फैसला लिया है। इसी के मद्देनजर सरकार ने मंत्रियों का यह एक अधिकार प्राप्त समूह गठित किया है। इस ईजीओएम में रक्षा मंत्री के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री  संतोष कुमार गंगवार और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को शामिल किया गया है। यह समूह मौजूदा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की सुरक्षा, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए इकाई/संस्थाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के बारे में भी फैसला लेगा। इसके लिए कंसल्टेंसी एजेंसी के रूप में खेतान एंड कंपनी लिमिटेड के साथ केपीएमजी सलाहकार सेवा प्राइवेट लिमिटेड (लीड कंसोर्टियम सदस्य) का चयन किया गया है।
मौजूदा समय में ओएफबी का कोलकाता मुख्यालय रक्षा उत्पादन विभाग के तहत कार्य करता है। दक्षता और जवाबदेही में सुधार के लिए इसका निगमीकरण करने के लिए अतीत में कई उच्च स्तरीय समितियों ने भी सिफारिशें की हैं। उत्पादन इकाइयों से संबंधित ओएफबी (ग्रुप ए, बी और सी) के सभी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के रूप में उनकी सेवा शर्तों में बदलाव किए बिना शुरू में दो साल की अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर कॉर्पोरेट संस्थाओं में स्थानांतरित किया जाएगा। सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों की पेंशन देनदारियां सरकार वहन करती रहेगी। बोर्ड के 41 कारखानों को सात कॉर्पोरेट संस्थाओं में बदला जाएगा। इस फैसले से गोला-बारूद के उत्पादन में लगे कारखानों के न केवल ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से बल्कि ‘मेकिंग फॉर द वर्ल्ड’ के जरिए भी तेजी से बढ़ने की संभावना है। इसी तरह लड़ाकू वाहनों जैसे टैंक, ट्रॉल्स, पैदल सेना और खान संरक्षित वाहनों का उत्पादन बढ़ेगा।
 
रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि हथियार और उपकरण समूह मुख्य रूप से छोटे हथियारों, मध्यम और बड़े कैलिबर की तोपों और अन्य हथियार प्रणालियों के उत्पादन में लगे रहेंगे। उम्मीद है कि सेनाओं की मांग पूरी करने के साथ-साथ घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगे। नया ढांचा ओएफबी की मौजूदा प्रणाली में विभिन्न कमियों को दूर करने के साथ ही इन कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने और निर्यात सहित बाजार में नए अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहन देगा। रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में पिछले साल सितम्बर में गठित मंत्रियों का एक अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) कार्यान्वयन से संबंधित मामलों पर फैसला करेगा और समय-समय पर उत्पन्न होने वाले किसी भी मुद्दे की समीक्षा करेगा।
 

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *