कोरोना और लॉकडाउन का प्रभाव देश के भविष्य पर ‘काली छाया’ जैसा: आरबीआई
नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी का असर देश के भविष्य पर ‘काली छाया] की तरह मंडराता रहेगा। इसके साथ ही लॉकडाउन का असर सीधे तौर पर देश की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा। आरबीआई ने गुरुवार को मौद्रिक समिति नीति (एमपीसी) की जारी रिपोर्ट में यह बात कही। रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की महामारी की वजह से वैश्विक उत्पादन, सप्लाई, व्यापार और पर्यटन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब कोरोना वायरस की महामारी की वजह से देश में लागू 21 दिनों का लॉकडाउन 16वें दिन में प्रवेश कर चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियां ठप है, जबकि पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था पर इसका और असर पड़ेगा। हालांकि, कोविड-19 का महंगाई पर असर अभी स्पष्ट नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार इस अनिश्चितता से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ अनुमान करना मुश्किल है। हालांकि, यह भी कहा गया है कि अगर कोरोना संकट पर जल्द काबू पा लिया गया तो आरबीआई ने ब्याज दरों में जो बड़ी कटौती कर लिक्विडिटी बढ़ाने का इंतजाम किया था, उसका आगे असर देखने को मिलेगा। रिजर्व बैंक की समीक्षा के अनुसार कोरोना संकट पर जल्द काबू पा लिया गया तो ये उपाय काम आएंगे और अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटेगी. हालांकि ग्रोथ का अनुमान लगा पाना मुश्किल है।
हालांकि, रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह कोविड-19 की तीव्रता, प्रसार और इसकी अवधि को लेकर स्थिति का आकलन अभी कर रहा है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन और वैश्विक गतिविधियों में आई सुस्ती का निश्चित रूप से भारत की आर्थिक विकास दर पर भारी पड़ेगा। आरबीआई ने कहा कि यह महंगाई पर भी प्रभाव डालेगा। गौरतलब है कि कोरोना की महामारी के चलते कई अर्थशास्त्रियों ने दुनियाभर में आपूर्ति बाधित होने की चेतावनी दी है।
इसके बावजूद आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल देश में रबी की फसल की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है, जिसका फायदा लोगों को मलने की उम्मीद कम है। गौरतलब है कि बंपर पैदावार और खाने पीने की चाजों के दाम बढ़ने का फायदा यह होता है कि इससे रूरल इनकम के साथ साथ डिमांड मजबूत होती है। वहीं, टैकस रेट कम होने और रूरल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को मजबूती मिलन से सीधे तौर पर घरेलू डिमांड को बूस्ट मिलना चाहिए, लेकिन कोविड—19 महामारी के चलते इन बातों पर भी असर पड़ेगा और लॉकडाउन से यह फायदा भी कम हो गया है।