लंदन/मेलबर्न 10 मई (हि.स.)। कोरोना वायरस बनाने में चीन 2015 से जुटा हुआ था। इसे जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी हो रही थी। चीन ने इसके इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी। यह खुलासा अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है।
अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे ब्रिटेन के ‘द सन’ अखबार ने ‘द ऑस्ट्रेलियन’ की तरफ से जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि ‘विस्फोटक’ दस्तावेज कथित तौर पर दर्शाते हैं कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे। अमेरिकी अधिकारियों को मिले दस्तावेज कथित तौर पर वर्ष 2015 में उन सैन्य वैज्ञानिकों और वरिष्ठ चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे जोकि कोविड-19 की उत्पत्ति के संबंध में जांच कर रहे थे।
कोविड इसका एक उदाहरण है जिसका चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस का ‘जैविक हथियार के नए युग’ के तौर पर उल्लेख किया था।पीएलए के दस्तावेजों में दर्शाया गया कि जैव हथियार के हमले से दुश्मन के चिकित्सा व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है। दस्तावेजों में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के कार्यों का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस बात की आशंका जताई थी कि तीसरा विश्वयुद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जा सकता है।
दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स एक मानव-निर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे जानबूझकर फैलाया हो। सांसद टॉम टगेनधट और आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर वैश्विक चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, बीजिंग में सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीन की छवि खराब करने के लिए इस लेख को प्रकाशित करने को लेकर दी आस्ट्रेलियन की आलोचना की है।