कोरोना वेक्सीन स्पीड ट्रैक पर, एफडीए ने दिए संकेत

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कोरोना वेक्सीन के साल के अंत तक मार्केट में आने की संभावनाएँ बढ़ीं वैक्सीन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर वितरित नहीं होगी: एक्सपर्ट रिपोर्ट हेल्थ केयर वर्कर को सबसे पहले वैक्सीन मिलेगी : सी डी सी 



लॉस एंजेल्स, 02 सितंबर (हि.स): कोरोना वेक्सीन स्पीड ट्रैक पर है। अमेरिकी एफ डी ए ने मंगलवार को संकेत दिए हैं कि कोरोना वैक्सीन के तीसरे क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम आने से पूर्व भी लाइसेंस जारी कर सकती है। इससे कोरोना वैक्सीन के इस साल के अंत से पूर्व भी मार्केट मेंआने की उम्मीदें लगाई जाने लगी हैं। वैश्विक मार्केट में कोरोना वैक्सीन प्रचूर मात्रा में उपलब्ध कराए जाने के संदर्भ में अमेरिका की दो कंपनियों- मोडरेना और फ़ाइज़र के पिछले महीने दो-दो सफल क्लिनिकल ट्रायल हो चुके हैं। इन कंपनियों का तीसरा ट्रायल शुरू हो चुका है। इनके साथ अब तीसरे क्लिनिकल ट्रायल में एक ब्रिटिश बायोफ़ार्मचुटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेक भी जुड़ गई है। इससे अमेरिकी वैगानिकों ने विश्वास व्यक्त किया है कि यह वैक्सीन इस साल के अंत तक मार्केट में आ जाएगी। आकस्फ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से ब्रिटेन की ‘एस्टर जेनेक’ कंपनी ने तीसरे क्लिनिकल ट्रायल के लिए तीस हज़ार लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिए है।

आपरेशन रैप स्पीड : अमेरिका की फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मंगलवार को संकेत दिए हैं कि तीसरे क्लिनिकल ट्रायल के दौरान सब कुछ ठीक ठाक रहता है, तो इसके परिणाम आने से पूर्व भी वैक्सीन जारी की जा सकती है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी यह संकेत दे चुके हैं कि वैक्सीन चुनाव तक जारी हो। इस के लिए आपरेशन रैप स्पीड का गठन किया था ताकि वैक्सीन बनाने के कार्य में जुटी कंपनियों के बीच अपेक्षित समन्वय बनाया जा सके। इस संदर्भ में अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एलर्जी और इंफ़ेक्शियस डीजीज ने सोमवार को एक वक्तव्य में कहा है कि कोरोना वैक्सीन के विकास और उत्पादन में दो अमेरिकी कंपनिया मोडरेना बायोटेक और फ़ाइज़र भी अपने तीसरे क्लिनिकल ट्रायल में बड़ी मुस्तैदी से जुटी हुई हैं। इन सभी ट्रायल पर ‘’आपरेशन रैप स्पीड’’ की निगाह बनी हुई है। इसका गठन गत मई माह में किया गया था।

किसे मिलेगी वैक्सीन सबसे पहले : एक एक्सपर्ट रिपोर्ट में मंगलवार को एक वक्तव्य में कहा गया है कि पहले चरण में यह कोरोना वैक्सीन सर्व प्रथम जोखिमपूर्ण हेल्थ कार्यों में लगे हेल्थ केयर वर्कर को हो मिलेगी। सी डी सी की पूर्व मान्यताओं के अनुसार 1964 से प्रैक्टिस रही है कि वैक्सीन सब से पहले हेल्थ केयर वर्कर को मिले। इस बार भी उसी नियम पर चलने की सिफ़ारिश की गई है। दूसरे और तीसरे चरण में गंभीर रूप से बीमार, वृद्ध और कोरोना संक्रमित मरीज़ों तथा तीसरे चरण में अन्य सभी को निशुल्क वैक्सीन के इंजेक्शन लगाए जा सकेंगे। इसके बाद यह वैक्सीन ऐसे लोगों को दी जाएगी, जिन्हें सबसे कम ज़रूरत है। ट्रम्प प्रशासन ने इस वैक्सीन उत्पादन करने वाली कंपनियों से पहले ही दस करोड़ डोज़ के लिए समझौता किया हुआ है। भारत में सिरम इंस्टीट्यूट्ट आफ इंडिया के बड़ी वेक्सीन निर्माता है। इनके अलावा गलेक्सोस्मिथ क्लीन और फ़ाइज़र हैं, जो दोनों अमेरिकी कंपनियाँ हैं।

अमेरिका के महामारी विद डाक्टर एंथनी फोचि ने मंगलवार को कहा कि इस सप्ताह के अंत तक वह कह सकेंगे कि इस साल के ख़त्म होने से पहले यह वैक्सीन बाज़ार में आ जाएगी।

 


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