नई दिल्ली, 05 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय रेलवे अब कोरोना वायरस (कोविड-19) के उपचार में लगे चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट तैयार करेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उत्तर रेलवे द्वारा तैयार पीपीई के दो नमूनों को परीक्षण में पास कर दिया है।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने रविवार को बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में उत्तर रेलवे की जगाधरी कार्यशाला में तैयार पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट(पीपीई) के दो नमूनों को डीआरडीओ के पास परीक्षण के लिए भेजा था। वहां डीआरडीओ ने पाया कि यह रक्त या शरीर के तरल पदार्थ को अवरुद्ध करने की क्षमता पर खरा है। इससे रेलवे इकाइयों में इसके उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। असल में यह रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के प्रवेश के लिए जैव-सुरक्षा कवर सामग्री(परिधान) के प्रतिरोध की जांच के लिए परीक्षण किया गया था। उन्होंने कहा कि देश में चिकित्सा पेशेवरों के लिए पीपीई की काफी कमी है जो कोरोनो वायरस रोगियों का इलाज कर रहे हैं। कुमार ने कहा कि हम फिलहाल 20 पीपीई ही तैयार कर रहे हैं लेकिन एक सप्ताह बाद हम प्रति दिन 100 पीपीई बनाया करेंगे।
रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक राजेश दत्त वाजपेयी ने कहा कि भारतीय रेलवे ने चिकित्सा पेशेवरों व अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के लिए देश में पीपीई कपड़ों की भारी आवश्यकता को देखते हुए अपनी कार्यशालाओं और उत्पादन इकाइयों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) के कपड़ों का निर्माण करने का निर्णय लिया है। अब ये पीपीई कवर भारतीय रेलवे द्वारा निर्मित किए जाएंगे और रेलवे अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा पहने जाएंगे। उत्तर रेलवे अब इसे अन्य जोनल रेलवे के साथ साझा करेगा इसके बाद रेलवे की कई इकाइयां इसके निर्माण का कार्य शुरू करेंगी। रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को आवश्यक निर्देश जारी किया है। भारतीय रेलवे अपनी उत्पादन इकाइयों और कार्यशालाओं में 15 दिनों के लिए प्रति घंटे तीन सेट प्रति सिलाई मशीन का उत्पादन करने का लक्ष्य बना रही है।