कोरोना इफेक्ट भारत की अर्थव्यवस्था पर, जीडीपी विकास दर घट सकती है

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नई दिल्ली, 26 मई (हि.स.)। ब्रिटिश फाइनेंशियल ग्रुप और ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास दर का अनुमान घटाकर 9.2 फीसदी कर दिया है। इसके पहले बार्कलेज ने भारत की विकास दर के 10 फीसदी के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था लेकिन उसने अब पहले के अनुमान में 0.82 फीसदी की कटौती कर दी है। इस ब्रिटिश फर्म ने विकास दर में कटौती करने के पीछे कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए लगाई गई पाबंदियों को मुख्य वजह माना है।
बार्कलेज के भारत में चीफ इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर से हो रही तबाही का देश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। कोरोना की इस लहर पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू जैसे सख्त उपायों के कारण देश की अर्थव्यवस्था में पहले जैसी अनुमानित वृद्धि का अनुमान आज की परिस्थितियों में दोबारा नहीं लगाया जा सकता है। बार्कलेज की ओर से कहा गया है कि भारत की विशाल जनसंख्या के अनुपात में यहां वैक्सीनेशन की गति काफी कम है। इसकी वजह से लॉकडाउन जैसी पाबंदी लंबे समय तक जारी रखनी पड़ सकती है। ये पाबंदियां अंततः देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर पर असर डालेंगी।
बार्कलेज की रिपोर्ट में इस तथ्य पर भी ध्यान दिया गया है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया है, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के कारण देश पर आर्थिक बोझ अधिक पड़ रहा है। साथ ही इस बीमारी की रोकथाम से जुड़ी आर्थिक लागत भी तुलनात्मक तौर पर अधिक है। इसीलिए इस ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 10 फीसदी को 0.8 फीसदी घटाकर 9.2 फीसदी कर दिया है।
बार्कलेज की ओर से कहा गया है कि भारत के अधिकांश हिस्सों में कोरोना की रफ्तार काबू में आ रही है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में अभी भी इसके मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। जिसके कारण एक साथ पूरे देश की अर्थव्यवस्था को खोलने में देरी होने की आशंका है। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था की चाल पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस ब्रिटिश फर्म का ये भी मानना है कि वैक्सीनेशन की गति कम होने के कारण आने वाले महीनों में इस जानलेवा महामारी से सुरक्षा को लेकर जोखिम की स्थिति बनी रहेगी। इसकी वजह से भी देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
बार्कलेज के पहले कुछ अन्य स्वतंत्र विश्लेषक भी जीडीपी विकास दर में कमी आने की आशंका जता चुके हैं। ज्यादातर विश्लेषकों ने जीडीपी विकास दर के 8.5 से लेकर 10 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया है। हालांकि प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक अभी भी 10.5 फीसदी का विकास दर हासिल करने के अपने अनुमान पर बना हुआ है।

 


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