बिहार मे खड़ी फसल की कटनी बड़ी चुनौती

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नीतिश ने गाइड लाइन जारी किया 



छपरा, 27 मार्च। 11 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले बिहार के लिए कोरोना ने किसानों के लिये एक बड़ी  चुनौती  पेश कर दी है। यहां लगभग 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या खेती पर निर्भर है और कोरोना के कहर से किसानों पर भी बहुत सारी पाबंदी लग गई है।

अब बिहार सरकार ने एक दिशा निर्देश जारी किया है जिसके अनुसार फसल काटने के लिए अधिकतम मशीनों का उपयोग किया जाएगा। बिहार में रबी की फसल लगभग तैयार है और अगले दस दिन में कटाई शुरू होने वाली है।
बिहार के कृषि निदेशालय की ओर जारी दिशा निर्देश के अनुसार रबी की कटौनी और दौनी के लिए रीपर कम बाइंडर और थ्रेशर का अधिकतम संभव उपयोग किया जाएगा। हाथ हसिया और बैल दौनी से परहेज किया जाएगा। यह दिशा निर्देश लागू करना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि बिहार उन राज्यों में शामिल है जहां मोटरचालित कृषि उपकरणों का सबसे कम इस्तेमाल होता है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमीउत्तरप्रदेश,महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यो के मुकाबले बिहार काफी पीेछे हैं। इसका प्रमुख कारण बिहार में कम उत्पादकता, छोटी जोत होल्डिंग और बिजली एवं सड़कों की कमजोर इं्फ्रास्ट्रक्चर रहा है।
इसके अलावा खेती पर जनसंख्या का अधिक बोझ भी खेती के मशीनरीकरण में बाधा है। हालांकि नीतिश सरकार कृषि उपकरणों की खरीद पर अच्छा खासा अनुदान दे रही है और यह अनुदान सीधे केंद्र की योजनाओं से भी जुड़ा हुआ है, फिर भी बिहार कृषि के आधुनिकीकरण की दौड़ में कई राज्यों से पीछे है। अब जबकि कोरोना के कारण व्यक्ति या वस्तुओं को हाथ लगाने पर पाबंदी या अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा जा रहा है ऐसे में रबी की कटाई और सब्जियांे की तुड़ाई बिना हाथ लगाए कराने का दिशा निर्देश लागू करना काफी कठिन काम होगा।
 बिहार मे रबी की फसल एक मुख्य फसल है। यहां लगभग 40 से 45 लाख टन गेहूं की पैदावार होती है। यदि खेत में खड़ी फसल सही समय से नहीं काटी गई तो कोरोना के कहर से कहीं ज्यादा बड़ी समस्या खाने पीने की होगी।
 कृषि निदेशालय का यह दिशा निर्देश सभी जिला मुख्यालयों तक पहुंच गया है। इसको लागू करने की जिम्मेदारी जिला कृषि अधिकारी, कृषि समन्वयक, कृषि सलाहकार, गांव के प्रधान या मुखिया की होगी। छपरा सदर के कृषि समन्वयक केशव सिंह का कहना है कि कृषि निदेशालय की ओर से जारी दिशा निर्देश का अनुपालन किया जाएगा। क्षेत्र में पर्याप्त संख्या मे रीपर कम बांइंडर मशीनें हैं। इस महीने की 22 तारीख तक मशीनों के लिए अनुदान के बिल बाउचन शासन को भेज दिए गए हैं। गांवों के मुखिया के साथ बैठकें की जा रही है। हर पखंड में कृषि  सहायक काम कर रहे हैं। खेत में काम करने वाले किसानों और मजदूरों लिए डीटाॅल, साबुन और पानी को सुनिश्चित बनाया जा रहा है। चूंकि अभी फसल कटने में 8-10 दिन का समय है, तब तक किसानों को जागरूक करने और मशीनरी पहुंचाने का काम पूरा कर लिया जाएगा।

 


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