कोरोना से सबसे अधिक शिक्षा को नुकसान पहुंचा, 1.6 अरब छात्र प्रभावित हुए

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संयुक्त राष्ट्र, 04 अगस्‍त (हि.स.)। कोरोना महामारी ने सबसे अधिक शिक्षा क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है, जिसके कारण सभी देशों और महाद्वीपों में लगभग 1.6 बिलियन छात्र प्रभावित हुए हैं। 23.8 मिलियन बच्चे और युवा ड्रॉप आउट होने की स्‍थ‍िति में पहुंच गए हैं या इस साल स्कूल नहीं जा सके हैं। वैश्‍विक शिक्षा पर चिंता जताते हुए उक्‍त बातें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कही हैं।
उन्‍होंने कहा “शिक्षा व्यक्तिगत विकास और विश्‍व के सभी समाजों के बीच भविष्य की कुंजी है। यह अवसरों को खोलती है और असमानताओं को उजागर कर उन्‍हें नष्‍ट करने का काम करती है। यह केवल सूचना नहीं देती बल्‍कि इसके आगे  सहिष्णु समाज और सतत विकास की प्राथमिक आधार है। प्रत्‍येक राष्‍ट्र के विकास में शिक्षा ही महत्‍वपूर्ण रही है।महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को ‘शिक्षा और कोविड-19’ पर अपनी नीति की संक्षिप्त जानकारी देते हुए एक वीडियो बयान में कहा है कि कोरोना महामारी ने शिक्षा का अब तक का सबसे बड़ा व्यवधान पैदा किया है। उन्होंने कहा कि जुलाई के मध्य में स्कूलों को 160 से अधिक देशों में बंद कर दिया गया था, जिससे 1 अरब से अधिक छात्र प्रभावित हुए और दुनिया भर में कम से कम 40 मिलियन बच्चे अपने महत्वपूर्ण प्री-स्कूल में प्रवेश नहीं लेने के कारण से शिक्षा प्राप्‍त करने से चूक गए हैं।
उन्‍होंने कहा कि कोरोना का प्रभाव इतना व्‍यापक हुआ है कि दुनिया के लगभग 23.8 मिलियन अतिरिक्त बच्चे और युवा (प्री-प्राइमरी से लेकर तीसरी कक्षा तक) इस महामारी के आर्थिक प्रभाव के कारण अगले साल तक भी स्कूल नहीं जा सकेंगे । गुटेरेस ने कहा कि दुनिया में असमानता की निरंतरता को दूर करने के लिए हमें शिक्षा की आवश्‍यकता है, हमें भविष्य के लिए फिट, समावेशी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणालियों को बनाए रखने के लिए अब साहसिक कदम उठाने चाहिए।
गुटेरेस ने चिंता व्यक्त की कि माता-पिता, विशेष रूप से महिलाओं, को घर में भारी देखभाल के बोझ को संभालने के लिए मजबूर किया गया है और रेडियो, टेलीविजन और ऑनलाइन द्वारा पाठ की डिलीवरी के बावजूद, भी शिक्षकों और माता-पिता के सर्वोत्तम प्रयासों से बाद भी दुनियाभर के कई कई छात्र बच्‍चे ऐसे हैं जो अब भी शिक्षा की पहुंच से बाहर हैं। विकलांग लोगों, अल्पसंख्यक या वंचित समुदायों में विस्थापित, शरणार्थी और शरणार्थी छात्रों और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा शिक्षा न पहुंचने का खतरा देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, “अब हम एक ऐसी पीढ़ीगत तबाही का सामना कर रहे हैं जो मानव क्षमता को बेकार कर सकती है, प्रगति को दशकों पीछे कर सकती है और असमानताओं को फिर से उजागर कर सकती है। बाल पोषण, बाल विवाह और लैंगिक समानता पर अन्य लोगों के बीच कोरोना संकट का गहरा प्रभाव है। स्कूलों को फिर से खोलने पर, उनका  कहता है कि एक बार कोविड-19 पर प्रभावी नियंत्रण लग जाए, तभी छात्रों को शिक्षण संस्थानों में भेजना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने इस जटिल प्रयास में सरकारों की मदद करने के लिए मार्गदर्शन जारी किया है और गुटेरेस ने कहा कि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए जोखिमों के खिलाफ स्वास्थ्य जोखिमों को संतुलित करना और महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी पर प्रभाव को लागू करना आवश्यक होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि माता-पिता, देखभाल करने वालों, शिक्षकों और युवाओं के साथ परामर्श लगातार परस्‍पर होते रहना चाहिए।
गुटेरेस ने कहा, “शिक्षा बजट को संरक्षित करने और बढ़ाने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षा अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के प्रयासों, ऋण प्रबंधन और प्रोत्साहन पैकेजों से लेकर वैश्विक मानवीय अपील और आधिकारिक विकास सहायता तक सभी स्‍तर पर आवश्‍यक है।” गुटेरेस ने कहा, “हम फॉरवर्ड लुकिंग सिस्टम की ओर एक छलांग लगा सकते हैं, जो सतत विकास लक्ष्यों के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं।”

 


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