कोरोना आपदा: उत्तर रामायण देख भाव विभोर हुई जनता, नई पीढ़ी बोली ‘थैंक्यू’ दूरदर्शन
सीतापुर, 03 मई (हि.स.)। ‘हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की” लाकडाउन के बीच दूरदर्शन पर रात्रि 9 बजे से प्रसारित होने वाली रामानन्द सागर की ऊत्तर रामायण के शुरुआती गीत के ये बोल जहां लोगों के दिल और दिमाग पर छा गए, तो वहीं नई पीढ़ी के लोगों ने इसे बहुत ही लगन व एकाग्रता से देखकर दूरदर्शन के साथ-साथ लाकडाउन को भी ‘थैंक्यू’ बोलकर अपने जीवन में बहुत सी चीजें उतारने का संकल्प लेकर इस टीवी धारावाहिक से कई नसीहतों को सीखने का भी काम किया है।
कोरोना आपदा के कारण घोषित लाकडाउन से दूरदर्शन ने जहां 30 वर्ष पहले देखी गई रामानंद सागर की रामायण का पुनः प्रसारण किया, तो वही लाकडाउन के ही बीच, 19 अप्रैल से 2 मई तक रात्रि 9 बजे से उत्तर रामायण के भी पुनः प्रसारण को देखकर देश की जनता को भावविभोर कर दिया। जानकारी हो कि इससे पूर्व लगभग तीन दशक पहले 1987,88 में दूरदर्शन के माध्यम से रामानंद सागर के इस अति चर्चित धार्मिक सीरियल को लोग बड़े चाव से देखते थे, उस समय सप्ताह में एक दिन रविवार को इसके प्रसारण के समय सड़कें सूनी हो जाया करती थी, लोग अपना सारा काम छोड़कर परिवार सहित इस धार्मिक सीरियल को देखा करते थे।
परंतु आज तीन दशक बाद कोरोना माहमारी के समय लाकडाउन में अवसर आया कि, देश भर के पुराने दर्शकों ने तो देखा ही, साथ में नई पीढ़ी के लोगों ने भी रामायण व उत्तर रामायण को खूब पसंद किया है। 1990 के बाद जन्म लेने वाली पीढ़ी लाकडाउन में रामायण और उत्तर रामायण को देखकर अपने आप को धन्य व गौरवान्वित भी महसूस कर रही है। छात्र-छात्राओं के साथ 20 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों ने इस धार्मिक सीरियल को बहुत ही सराहा है। कई छोटे बच्चों ने ऊत्तर रामायण को बड़ी लगन से देखा तो वहीं कई ऐसे भी छात्र बताते हैं कि टीवी पर देखने के बाद हम अपने मोबाइल पर भी उसी एपिसोड को पुनः देखते थे। कल रात इसके अंतिम प्रसारण ने लोगों को भाव विभोर कर दिया।
इस सम्बंध में ‘हिन्दुस्थान समाचार’ ने सीतापुर के कई ऐसे नौजवानों, छात्रों के विचार जानने की कोशिश की, जिनका जन्म 1990 के बाद हुआ। 14 वर्षीय रीजेंसी स्कूल में कक्षा 8 की छात्रा गौरी वर्मा कहती है कि दूरदर्शन पर प्रसारित रामानन्द सागर की रामायण के प्रत्येक एपिसोड को बड़ी ही लगन से देखा है, अपने माता-पिता के साथ बैठकर रामायण देखने वाली गौरी कहती है कि बहुत सी जानकारी इसके माध्यम से सीखने को मिली हैं,जिन्हें हम बड़े होकर ही जान पाते। आठवीं की छात्रा कहती है, कि सीता का चरित्र, राम का त्याग और रावण के अहंकार से बहुत कुछ हम बच्चों सीखने को मिला है।
सीतापुर के सिंघानिया इंस्टिट्यूट में कक्षा 12 की पढ़ाई कर रहे कुशल मिश्रा कहते हैं कि हमने अपने माता पिता से सुना था कि 30 साल पहले दूरदर्शन पर रामायण आती थी, परंतु आज इसका लाकडाउन की अवधि में पुनः प्रसारण देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला है, वे कहते हैं कि रामायण एक महान ग्रंथ है, इस सीरियल के माध्यम से हमें यह भी बताया गया है कि धर्म की ही जीत होती है। ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ संपूर्ण रामायण में बहुत ही अच्छी तरीके से इसका पालन करते हुए भगवान राम से नई पीढ़ी के बच्चों ने सीरियल के माध्यम से देखा है। रामायण में पिता का पुत्र से, माता का पुत्र से, और भाई का भाई से, मजबूत रिश्ता भी एक सीख है। रामानंद सागर व दूरदर्शन को धन्यवाद देने के साथ कहते हैं कि इस सीरियल से हमें यह सीख मिली कि त्याग की कोई सीमा नहीं होती। त्याग जो राम जी ने पिता के लिए किया, भरत और लक्ष्मण ने भाई के लिए किया, वहीं माता सीता ने राम जी के लिए किया, ऐसे सीरियल को देखकर मैं अपने आप को धन्य मानता हूं।
वही 1996 में जन्मे बीटीसी व एमबीए किए सीतापुर के छात्र बैभव मिश्रा ने भी परिवार के साथ इस सीरियल को बड़े ही भाव विभोर होकर देखा। वैभव कहते हैं कि रामायण का अर्थ है ज्ञान, कर्तव्य और संस्कार। मैं सौभाग्यशाली हूं जो रामायण जैसे महाकाव्य का संपूर्ण प्रसारण अपने माता-पिता व बड़े भाई के साथ देख पाया हूं।
वैभव बताते हैं कि रामायण से कर्तव्य निष्ठा, प्रेम, एकता व सनातन संस्कृति का स्वरूप देखने को मिला है। यदि हम लोग अपने जीवन में आत्मसात कर लें तो हम अपने जीवन को सुखद व धर्म निष्ठ बना सकते हैं। वे कहते हैं धन्यवाद हो रामानंद सागर जी का और दूरदर्शन का जिसने देश की जनता को नई पीढ़ी के सामने राम के चरित्र का सुंदर रूपांतरण दिखाने का कार्य किया है।
वही स्नातक की पढ़ाई कर रहे अर्पित रस्तोगी ने इस उत्तर रामायण को कुछ अपने ही धुन में देखा। वह बताते हैं कि टीवी पर सीरियल समाप्त होने के बाद भी इसे फिर से अपने मोबाइल पर देखने का कार्य करता था। रामायण के पात्रों से सीख के सवाल पर उन्होंने कहा कि रामायण के सभी पात्रों से कुछ ना कुछ सीख मिलती है। पर मेरी नजर में अंगद, जिसने अपने पिता को मृत्यु देने वाले श्रीराम का साथ दिया, केवल धर्म मार्ग पर चलने के लिए।अंगद का यह पात्र मुझे सर्वाधिक पसंद आया जिन्होंने बिना अपना हित देखे प्रभु राम के श्री चरणों में अपना जीवन अर्पित कर दिया। और दूसरा चरित्र, रामायण में जब लव-कुश संगीत में अपने पिता को अपना पुत्र बताते हैं उस चित्र ने मुझे भाव विभोर कर दिया। वह कहते हैं कि यह तो लाकडाउन का बहुत-बहुत धन्यवाद जो हम नई पीढ़ी के लोगों ने इसको देख कर अपना जीवन आगे बढ़ाने की प्रेरणा ली है।
वही लखनऊ में रहकर एमबीए छात्रा सिद्धि अवस्थी कहती है कि रामायण के प्रत्येक पात्र से कुछ सीखा जा सकता है। हम बच्चों को रामायण के सभी पात्र कुछ नसीहत देते हैं। परंतु रामायण में माता शबरी की भक्ति, और विभीषण का सत्य मार्ग पर चलते हुए देखकर हम सबके लिए एक ऊर्जा प्रदान करता है।
केविएस, गोमती नगर लखनऊ की कक्षा छह की छात्रा शाम्भवी कहती है कि रामायण के हर पात्रों से कर्तव्यबोध सीखने को मिला। महर्षि वाल्मिकी की ओर से लव-कुश को जो शिक्षा दी गई, उसे वर्तमान भारत में पुन: लागू करना चाहिए। वह शिक्षा गुरूओं का सम्मान और बड़ों का आज्ञा पालन सिखाती है।
खैराबाद कस्बे में छोटी सी दुकान से आजीविका चलाने वाले मात्र हाई स्कूल पढ़े आकाश यादव कहते हैं। कम पढ़े लिखे होने के बावजूद भी मैंने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धार्मिक सीरियल के माध्यम से बहुत कुछ सीखा है। वे कहते हैं चाहे जितना पढ़ लिख कर हम बड़े बन जाए परंतु रावण जैसा अहंकार किसी को भी नहीं करना चाहिए।
हरगांव निवासी, खेती किसानी कर अपना परिवार चलाने वाले किसान रामपाल वर्मा बताते हैं, कि रामानंद सागर की रामायण और उत्तर रामायण का आज भी कोई जवाब नहीं है। आज 30 साल बाद भी वही क्रेज है, जो पहले हमने देखा था। आज भी नई पीढ़ी के लोगों के साथ साथ हम लोगों ने फिर से देख कर अपना जीवन धन्य किया है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी व समाजसेवी राकेश नारायण कहते हैं कि वर्तमान संकट के समय रामायण को दिखाकर युवा पीढ़ी में बहुत बड़ा संदेश गया है। समस्त प्राणियों की रक्षा अपने प्राण देकर भी करना एवं अपने वचन का भी पालन करना भगवान राम से सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर रामायण धार्मिक सीरियल के माध्यम से “प्रात काल उठ के रघुनाथा, मात पिता गुरु नावे माथा” रामचंद्र जी के जीवन से नौजवानों को यह प्रेरणा जरूर लेनी चाहिए।
राकेश नारायण कहते हैं कि वर्तमान में विषम संकटकालीन परिस्थितियों में रामानंद सागर जी की रामायण देखकर देश पर कोरोना संकट से उबरने में भी एक मददगार जरूर बनेगी। इसके लिए वे कहते हैं, कि ‘थैंक्यू दूरदर्शन” जिसके माध्यम से देश की जनता ने बहुत कुछ देखने व सीखने का अवसर पाया है। कुल मिलाकर लाकडाउन के बीच में प्रसारित हुई रामानंद सागर की चर्चित रामायण ने देश की जनता को धार्मिक व सनातन संस्कृति, संस्कार से अवगत कराने के साथ नई पीढ़ी को भी भावविभोर करने का काम जरूर किया है।