लखनऊ, 30 मार्च (हि.स.)। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 12 वर्ष बाद सोमवार को वृहस्पति भी मकर राशि में प्रवेश कर गये। अब छह माह तक वहीं शनि की राशि में ही रहेंगे। इस बीच मंगल भी 22 मार्च से वहीं जमे हुए हैं और चार मई तक रहेंगे। मकर राशि में तीन ग्रह तीन अलग-अलग ताकत व स्वभाव के एक साथ आ गये हैं।
इस संबंध में ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि ये बड़े वैश्विक परिणाम देने वाले हैं। इससे आने वाले 12 दिनाें में भारी बदलाव देखने को मिलेगा। पहले तीन दिन तो खबर काफी बुरी हो सकती है लेकिन इसके बाद तेजी से बदलाव होगा और काफी अच्छी खबरें मिल सकती हैं।
इस संबंध में ज्योतिषाचार्य एस.आर.शंकर ने सोमवार को बताया कि इन बड़े ग्रहों का एक साथ आना वैश्विक परिणाम देने वाले हैं। मकर का शनि में प्रवेश 24 जनवरी से हो चुका है, जो आम जनता और जनतांत्रिक सिस्टम का कारक है अर्थात आम लोगों की ताकत बढ़ी चढ़ी रहेगी जो सरकारों के लिए भारी पड़ेंगी। वहीं मकर का मंगल ऊर्जा और पुलिस, सेना की ताकत का द्योतक है तो 22 मार्च से एक ही राशि में शनि व मंगल के होने से इनकी ताकत और आम जनता की ताकत मे विरोधाभास शुरु हो चुका है, क्योंकि दोनों इस मकर राशि में ताकतवर हैं और विपरीत स्वभाव होने से एक दुसरे से तनातनी कर रहे हैं परंतु आज से गुरुदेव वृहस्पति के इस गठबन्धन मे शामिल होने के चलते अचानक से परिस्थितियों मे भारी बदलाव अगले 12 दिनो मे देखने को मिल सकता है।
ज्योतिषाचार्य मुनेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि शुरु के तीन दिनों में काफी बुरी तो उसके बाद तेजी से काफी अच्छी खबरें हो सकती है, क्योंकि मकर राशि में वृहस्पति नीच के हैं, तथापि शनि व मंगल उनका नीच भंग भी अपने-अपने ढंग से कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त वृहस्पति इन दोनों(पुलिसप्रशासन-जनता) के आपसी झगड़े को भी सलटाकर एक दिशा में सकारात्मकता को सामने लाएंगे, जबकि ये दोनों वृहस्पति को अपने-अपने हिसाब से अपनी इच्छा व ताकत प्रदान करके गुरू का नीच भंग करायेंगे।
एसआर शंकर ने कहा कि गुरू का नीच भंग होते ही जीवों पर छाया मौत का खतरा टलने लगेगा, क्योंकि वृहस्पति को जीवकारक कहा गया है। प्राण (यानी स्वांस) को आकाश तत्व से लाकर जीवों का जीवन संचालन भी वृहस्पति ही करते हैं। अतः मई आते-आते स्वांस रोग में भी आराम मिलेगा। अर्थव्यवस्था भी जून तक सुधरने लगेगी और सभ्यताओं को भी इस वर्ष के सितम्बर तक खुद में सुधार के लिए आगे आना होगा। पीछे से चला आ रहा अधिकांश तरह का विस्तारवाद रुक जायेगा और गुरू व शनि की यूति 20 वर्ष बाद हुई है, जो जून से सितम्बर तक यूति का निर्णायक प्रभाव होगा। वह यही होगा कि पुरानी पारम्परिक और त्यागी जा चुकी जीवन शैली और संस्कृति की पुनर्स्थापना व सर्वस्वीकृति का काम चल पड़ेगा।