बिहार विधानसभा चुनाव : सोशल मीडिया पर एक्टिव हुई दावेदारों की फौज
बेगूसराय, 15 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय लोकतंत्र की जननी बिहार में इस बार विधानसभा का चुनाव बहुत ही अलग तरीके से हो रहा है। कोरोना के कारण सोशल मीडिया पर अधिक इसका प्रभाव देखा जा रहा है। डिजिटल भारत के चुनाव में बड़ी-बड़ी रैलियां वर्चुअल माध्यम से हो रही हैं।
2015 तक के विधानसभा चुनाव और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में लोग नेताओं को सुनने के लिए मैदान में जमा होते थे। खुले मैदान में रैलियां होती थीं, हेलीकॉप्टर से नेता उतरते थे। रैलियों में भीड़ को देखकर जीत-हार का आकलन किया जाता था। प्रशासनिक स्तर पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर रैली की अनुमति देने की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन इस बार अभी तक मैदान में रैलियां शुरू नहीं हुई हैं। वर्चुअल माध्यम से बड़े-बड़े नेता लोगों को संबोधित कर रहे हैं।
नेताओं का भाषण सुनने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। जूम एप, फेसबुक लाइव और लिंक के माध्यम से घर बैठे लोग नेताओं का भाषण सुन रहे हैं। घर बैठे लोग जान रहे हैं कि सरकार ने गरीबों के कल्याण के लिए क्या-क्या योजना चलाई है। कैसे सभी क्षेत्रों का समग्र विकास हो रहा है। लोग घर बैठे ही सुन रहे हैं कि सरकार में क्या-क्या खामियां हैं, सरकार ने कुछ नहीं किया। बात करें दावेदारों के दावों की तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खोलिए, आपके क्षेत्र के सभी दलीय ही नहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी दिख जाएंगे।
फेसबुक हो या ट्विटर, व्हाट्सएप हो या इंस्टाग्राम प्लेटफार्म, अल सुबह से देर रात तक तमाम दावेदारों की कई पोस्टें पढ़ने-देखने को मिल जाएंगी। भाजपा, जदयू, लोजपा के दावेदार दिखा रहे हैं कि केंद्र और बिहार की सरकार ने क्या-क्या किया। कांग्रेस के दावेदार दिखा रहे हैं कि उनके नेतृत्व वाली जब सरकार थी तो देश में क्या-क्या योजना शुरू की गई थी। राजद के दावेदार दिखाते हैं कि लालू यादव के नेतृत्व में क्या हुआ। पप्पू यादव की जाप के कार्यकर्ता भी आलाकमान द्वारा बिहार वासियों और देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों को की गई मदद का बखान कर रहे हैं। मैदान में आप के कार्यकर्ता भी कूद पड़े हैं और वह दिल्ली के विकास कार्यों को गिना रहे हैं। इस जोर आजमाइश में निर्दलीय भी कहीं पीछे नहीं हैं। वह दिखा रहे हैं कि सत्ताधारी दल और विपक्ष ने बिहार में क्या किया और क्या नहीं किया, क्या होनी चाहिए।
दावेदारों की सुबह की शुरुआत और रात में नींद भी उन्हें सोशल मीडिया पर बगैर पोस्ट के नहीं आती। दिन भर के तमाम बातों को मिनट-टू-मिनट सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। डालें भी क्यों न, वर्तमान केन्द्र सरकार ने देश को डिजिटल जो बना दिया है। देश में मोबाइल युग की शुरुआत राजीव गांधी ने की थी लेकिन मोबाइल क्रांति हुई तो नरेन्द्र मोदी के शासन वाली सरकार में। जिसने हर घर में 4-जी मोबाइल पहुंचा दिया। लोग मिनटों में दुनिया से न केवल जुड़ जाते हैं, बल्कि घर बैठे-बैठे दुनिया भर की हलचल का लाइव देख लेते हैं।