नई दिल्ली, 30 जुलाई (हि.स.)। लोकसभा ने मंगलवार को उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण और कंपनियों के साथ उनके विवादों के उचित एवं प्रभावी निपटारे के लिए लाए गए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 को सर्वसम्मत्ति से पारित कर दिया।
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य, आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इसमें देश के संघीय ढांचे को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने वाला कोई प्रावधान नहीं है। विधेयक का मकसद व्यवस्था को सरल बनाना है ताकि उपभोक्ता की दिक्कतें कम हो सकें। इसके तहत उपभोक्ता की शिकायत पर 21 दिन के अंदर खुद ही मामला दर्ज हो जाएगा। उपभोक्ता स्वयं अपने मामले की पैरवी कर पाएगा। अब एक करोड़ तक के मामले जिले स्तर पर ही सुलझाए जा सकेंगे। इसके अलावा मध्यस्थता के बारे में ही नियम व्यवस्था बनाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि भ्रामक विज्ञापन देने वालों पर अब सीधी कार्रवाई होगी। इसके लिए प्रेस की जिम्मेदारी तब तय की गई है जब वह विज्ञापन में तय जानकारी से गलत कुछ छापा जाता है। वहीं सेलिब्रेटी पर जुर्माने और प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था की गई है।
स्वास्थ्य क्षेत्र को विधेयक के दायरे में लाए जाने के विषय पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों को उपभोक्ता कानून के दायरे में लाने के आगे चलकर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इससे मामूली बीमारी में जांच कराने पर जोर दिया जाएगा जिससे स्वस्थ्य से जुड़ा खर्च बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी और कई अन्य समस्यों को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
पासवान ने कहा कि उन्होंने विपक्ष की ओर से सुझाए गए सभी प्रस्तावों पर गहनता से विचार किया है। वह विश्वास दिलाते हैं कि विधेयक के तहत कानून बनाते समय जनहित का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
भाजपा नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि बिल समय पर नहीं चुकाने पर फोन कंपनी कनेक्शन काट देती है, लेकिन कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में कोई जिम्मेदारी नहीं है। यही मामला बिजली कट जाने और फ्लाइट में देरी होने से भी जुड़ा है। उन्होंने पूछा कि उपभोक्ता के समय बर्बादी की भरपाई कौन करेगा?
विधेयक पर करीब साढ़े चार घंटे चर्चा चली। इसमें एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन ओवैसी ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों को डाइल्यूट किया जा रहा है। आपने मेडिकल लॉबी के आगे घुटने टेक दिए। महिलाओं के आरक्षण का प्रावधान था उसे आपने हटा दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रीया सुले ने कहा कि रेल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं को लेकर आम लोगों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ऐसे में इन्हें भी विधेयक का अंग बनाया जाना चाहिए था।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि कंपनियां उपभोक्ता से समझौते करते मध्यस्थता और समिति देनदारी के प्रावधान लगा देती हैं। इससे उपभोक्ता के अधिकारों को नुकसान न पहुंचे उस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 पहले पुराने 1986 के कानून की जगह लेगा। इसमें खराब वस्तुओं एवं सेवाओं से संबंधित शिकायतों के निवारण की व्यवस्था की गई है। इसके तहत उपभोक्ताओं की शिकायत के निवारण के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का गठन किया जाएगा।
विधेयक में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का प्रावधान है। विधेयक में मध्यस्थता से जुड़े प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। अगर जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता के हित में फैसला सुनाते हैं, तो कंपनी इसके खिलाफ राष्ट्रीय फोरम में नहीं जा सकती।
विधेयक के कानून बनने के बाद केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का गठन होगा । यह प्राधिकरण वस्तुओं और सेवाओं में सुरक्षा संबंधी नोटिस, रिफंड और रीकॉल व भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। अगर किसी वस्तु में कोई दोष पाया जाता है तो निर्माता, विक्रेता एवं सेवा प्रदाता के खिलाफ उत्पाद दायित्व का दावा किया जा सकता है ।