वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली (हि.स.)। कश्मीरी पंडित समुदाय की भारतीय पत्रकार आरती टिकू सिंह ने अमेरिकी संसद में कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लंघन को लेकर हुई सुनवाई में पाकिस्तानी लॉबी को करारा जबाव दिया है।
आरती ने पाकिस्तानी दुष्प्रचार को लेकर अमेरिकी सांसदों और कथित कश्मीर विशेषज्ञों से कहा कि कश्मीर घाटी में मानवाधिकारों का उल्लंघन इस्लामी जेहादी कर रहे हैं, जिन्हें सीमा पार से शह मिल रही है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में मुस्लिमों सहित आम आदमी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार बन रहा है।
भारतीय पत्रकार ने कहा कि पश्चिमी देशों और भारतीय मीडिया का एक वर्ग जम्मू कश्मीर के हालातों के बारे में गलत तस्वीर पेश कर रहा है। सारा दोष भारतीय सुरक्षाबलों पर मढ़ने की कोशिश की जा रही है, जबकि मानवाधिकारों का उल्लंघन वास्तव में इस्लामी जेहादी कर रहे हैं।
कश्मीर घाटी में पूर्ण संचार ब्लैकआउट और लोगों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने के आरोपों को खारिज करते हुए आरती ने कहा कि उन्होंने स्वयं श्रीनगर के तीन प्रमुख अस्पतालों का भ्रमण किया है। इस अस्पतालों में डॉक्टर पहले की तरह काम कर रहे हैं, मरीजों को पहले की ही तरह इलाज मिल रहा है। इन अस्पतालों में 3 महीने तक काम आ सकने वाला दवाइयों का स्टॉक है।
अनुच्छेद-370 और 35ए के महिला विरोधी स्वरूप के बारे में आरती ने कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर के बाहर के राज्य के व्यक्ति से विवाह किया है। इन अनुच्छेदों के आधार पर वह अपने बच्चों को राज्य में संपत्ति हस्तांतरित नहीं कर सकतीं थीं।
आरती ने डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद इल्हान अब्दुलाही उमर (मिन्नीसोटा) के भारत विरोधी प्रलाप पर तीखा वार किया जिससे वह तिलमिला गईं। उमर ने आरती की पत्रकारिता की समझ और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा कर दिया। उमर ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना जर्मनी की नाजी पार्टी से करते हुए कहा कि ये संगठन भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। सोमालियाई मूल की इल्हान उमर इस्लामी कट्टरपंथ का समर्थन करने के लिए अमेरिका में बदनाम हैं।
इस सुनवाई के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी के पाकिस्तान परस्त सांसदों ने कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के भारत विरोधी दुष्प्रचार को दोहराया। पाकिस्तानी लॉबी की ओर से भारतीय मूल की दो प्रोफेसरों अंगना चटर्जी (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय) और निताशा कौल (वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय- लंदन) को सुनवाई के लिए पेश किया गया, जिन्होंने हिन्दुओं, हिन्दू संगठनों और भारत सरकार के खिलाफ जहर उगला। इन दोनों महिलाओं ने कहा कि अनुच्छेद-370 हटाकर नरेन्द्र मोदी सरकार जम्मू कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्या को बदलना चाहती है। उनके अनुसार सरकार का राज्य के विकास और महिलाओं को समानता देने का तर्क सही नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह राज्य पहले से ही काफी विकसित है और वहां महिलाओं की स्थिति भारत के अन्य राज्यों से बेहतर है।
आश्चर्य की बात यह भी थी कि भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल (वाशिंगटन राज्य) ने सुनवाई के दौरान भारत की नकारात्मक तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा कि भारत में मेरा जन्म हुआ है लेकिन वहां इन दिनों जो हालात हैं, उनसे वह शर्मिदा हैं। जयपाल के अनुसार भारत में आज भय का माहौल है और अल्पसंख्यक व दलित असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
पत्रकार आरती टिकू सिंह ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त इस सुनवाई में भारत की ओर से मोर्चा संभाला। उन्होंने सांसद उमर, सांसद जयपाल, अंगना चटर्जी और निताशा कौल के आरोपों का खारिज करते हुए अमेरिकी संसद को उन आतंकवादी हमलों की जानकारी दी जिनमें निर्दोष लोग मारे गए। उन्होंने पत्रकार शुजाद बुखारी, व्यापारी गुलाम मोहिउद्दीन मीर और पांच वर्षीय आसमां जान की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि यह आतंकवादी तांडव पिछले 30 साल से जारी है।
भारतीय मूल के एक वक्ता रवि बत्रा ने कहा कि आतंकवाद के कारण लोग जीवन के अधिकार से ही वंचित हो रहे हैं। जब जीवन ही नहीं रहेगा तो मानवाधिकारों की बात करने का क्या औचित्य है।
अमरीकी संसद (कांग्रेस) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव्स की विदेश मामलों से सम्बंधित समिति में मंगलवार को “दक्षिण एशिया में मानवाधिकार” विषय पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान ट्रम्प प्रशासन की ओर से दो सहायक विदेश मंत्रियों ने एलिस वेल्स और डूट्रेस ने अमेरिकी सांसदों के सवालों का उत्तर दिया। सुनवाई में दक्षिण एशिया से गैर सरकारी प्रतिनिधियों ने भी गवाही दी जिनमें सामजिक कार्यकर्ता और विद्वान शामिल थे। इन दोनों मंत्रियों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ट्रम्प प्रशासन नजर रखे हुए है। वह भारत सरकार पर जोर दे रहा है कि राज्य में सामान्य राजनीतिक गतिविधियों की फिर अनुमति दी जाय और राज्य विधानसभा के चुनाव जल्द कराये जाएँ। मंत्रियों ने कहा कि पाकिस्तान को जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
संसद की यह सुनवाई कहने के लिए दक्षिण एशिया के बारे में थी लेकिन लंबी चली इस कार्रवाई में अधिकतर समय कश्मीर पर ही चर्चा हुई। पाकिस्तान ने इस सुनवाई के दौरान अपने समर्थक अमेरिकी सांसदों से लॉबिंग की। किसी भी सांसद ने भारतीय पक्ष के नजरिये से हालात का आकलन नहीं किया। सुनवाई से यह भी जाहिर हुआ कि ह्यूस्टन में “हाउडी मोदी” के सफल आयोजन और विदेशमंत्री एस. जयशंकर के अमेरिका में किए गए कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद बहुत से अमेरिकी सांसद भारत विरोधी रवैया अपनाए हुए हैं। संसद में भारतीय मूल के सांसद भी कश्मीर के बारे में सही तस्वीर पेश नहीं कर रहे हैं।