नई दिल्ली, 30मई (हि.स.)। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं रहने की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। ऐसे में उनको मनाने की कोशिश तेज हो गई है। साथ ही इस पर भी चिंतन – मनन होने लगा है कि यदि वह अपनी जिद पर अड़े रहे, तब क्या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम उपयुक्त रहेगा।
सूत्रों का कहना है कि वैसे तो अंत में राहुल मान जायेंगे लेकिन 10 प्रतिशत यह मानकर चल रहे हैं कि नहीं मानेंगे तब इस स्थिति में खुद राहुल को ही अपनी पसंद का व्यक्ति बताना होगा। हालांकि उस नाम पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी व पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की भी सहमति होगी, तभी बात आगे बढ़ेगी। जाहिर है कि गांधी परिवार से अलग किसी को भी पार्टी की कमान सौंपी गई तो कांग्रेसी उसको नहीं मानेंगे। पार्टी में कई गुट हो जायेंगे, जिसका सबसे अधिक फायदा भाजपा को होगा। किसी और को बनाने पर वह महाशक्तिशाली भाजपा शीर्ष शक्ति के दबाव में कुछ ‘करामात’ शुरू कर सकता है, पाला बदल कर भाजपा में जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी की सिंधिया से घनिष्ठता है, सोनिया व प्रियंका भी उनको बहुत मानती हैं। ऐसे में राहुल यदि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए नहीं माने तो उनको (सिंधिया को) अपनी कुर्सी दे सकते हैं । यदि मान गये तब सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकते हैं। इस बारे में एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है , “हमे नहीं लगता है कि पार्टी के अन्य नेता राहुल गांधी की जिद के आगे झुकेंगे। इसके तमाम कारणों में से प्रमुख कारण है केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी व उसके नेताओं से सीधे लड़ने की हैसियत व दम। राहुल के अलावा कांग्रेस में किसी में यह दम नहीं है। सब किसी न किसी वजह से डरे हुए व भयभीत हैं जबकि समय अब सर्वाइवल के लिए लड़क पर उतर कर सत्ताधारी पार्टी की कमियों को एक्सपोज करने, जनता की समस्याओं को मुद्दा बनाने और उसके लिए जूझने का है।”
उ.प्र. के पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता सुरेन्द्र का कहना है, “देखिए, कोई कुछ भी कहे, सच्चाई यह है कि नेहरू – गांधी परिवार के नाम पर ही कांग्रेसी एकजुट रह सकते हैं। इसलिए इससे इतर कोई सोच नहीं पा रहा है। आप खुद देख लीजिए, लोकसभा चुनाव में सीधे प्रधानमंत्री के विरुद्ध कौन कांग्रेसी नेता मोर्चा खोल कर लड़ा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही तो लड़े। आगे भी वही लड़ेंगे।” सुरेन्द्र का कहना है कि संगठन में जो कमियां हैं, उन्हें सुधार लिया जाये तो पार्टी फिर खड़ी हो जायेगी। अगले लोकसभा चुनाव तक खड़ी हो सकती है।
पार्टी के एक पदाधिकारी व राहुल के विश्वासपात्र का कहना है कि कांग्रेस संगठन में व राज्य सरकारों के नेतृत्व में भी परिवर्तन की संभावना है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। गहलोत को कांग्रेस का केन्द्रीय संगठन महासचिव बनाया जा सकता है। इसी तरह से म.प्र. में भी कमलनाथ की जगह किसी अन्य को लाने की बात चल रही है। फिलहाल किसी एक नाम पर राय नहीं बन पा रही है, क्योंकि राज्य में कमलनाथ, दिग्विजय और सिंधिया का गुट एकमत नहीं हो पा रहा है। हालांकि जो हालात हैं उसमें सिंधिया का पलड़ा भारी पड़ रहा है। ऐसे में उनको कमलनाथ की जगह मुख्यमंत्री बनाया जायेगा या राज्य संगठन मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष, इसको लेकर कई मुद्दों पर विचार चल रहा है। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा म.प्र. की कांग्रेस सरकार के भविष्य को लेकर है।
ज्यादातर कांग्रेसियों का मानना है कि केंद्र में मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के एक-दो माह में कमलनाथ सरकार गिराई जा सकती है। इसी तरह से राजस्थान सरकार भी गिराने की कोशिश होगी। इसलिए भी इन राज्यों में जूझने वाले नेताओं को पार्टी की कमान सौंपने की जरूरत है। इसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया उपयुक्त हो सकते हैं।