भाई की सीट गंवाने से डरी प्रियंका अब पूरी यूपी को मथने के मूड में

0

कांग्रेस को उम्मीद थी कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रियंका वाड्रा को प्रभार मिलने के बाद पार्टी को संजीवनी मिलेगी, लेकिन कांग्रेस का मत प्रतिशत पिछले चुनाव से भी कम हो गया। अब कांग्रेस के पास कोई नया चेहरा भी ऐसा नहीं बचा जिसके भरोसे वह अगले चुनाव में कोई करिश्मा कर सके। इस कारण प्रियंका अब पूरी यूपी को मथने के मूड में आ गयी हैं।



लखनऊ, 14 जून (हि.स.)। यूपी में लगातार घट रहे मत प्रतिशत और सीटों की संख्या से घबराई कांग्रेस अब एक-एक बिंदुओं पर विचार कर उस पर आगे की रणनीति बनाने के मूड में है। उसके इस मंथन का प्रमुख कारण अमेठी में राहुल गांधी का हार जाना और रायबरेली में सोनिया गांधी का कम अंतर से जीतना प्रमुख कारण है। अब कांग्रेस की महासचिव को लगने लगा है कि यदि हालात यही रहे तो इस बार भाई राहुल गांधी ने सीट गंवाई अगली बार मां सोनिया गांधी की सीट भी हाथ से निकल जाएगी।
  कांग्रेस को उम्मीद थी कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रियंका वाड्रा को प्रभार मिलने के बाद पार्टी को संजीवनी मिलेगी, लेकिन कांग्रेस का मत प्रतिशत पिछले चुनाव से भी कम हो गया। अब कांग्रेस के पास कोई नया चेहरा भी ऐसा नहीं बचा जिसके भरोसे वह अगले चुनाव में कोई करिश्मा कर सके। इस कारण प्रियंका अब पूरी यूपी को मथने के मूड में आ गयी हैं।
रायबरेली में जब सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा पहुंची तो सोनिया तो नरम रहीं लेकिन प्रियंका के रूख काफी कड़क थे। वे यही संदेश देना चाहती थीं कि अब पदाधिकारियों की मठाधीशी नहीं चलेगी। इसका कारण था, 2014 के लोकसभा चुनाव में 3,52,713 मत से जीत दर्ज करने वाली सोनिया गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र 1,67,178 वोट से ही जीत दर्ज कर सकीं।  भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने जबरदस्त टक्कर दी, जो कभी उनका सबसे खास हुआ करते थे। अब कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आ गये। सोनिया को जहां इस बार 5,34,918 मत मिले, वहीं दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 मत मिले, जबकि 2014 में सोनिया को 5,26,434 मत मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले भाजपा के अजय अग्रवाल को मात्र 1,73,721 मत मिले थे।
सोनिया के जीत के बाद भी कांग्रेसियों का बढ़ रहा धड़कन
यदि रायबरेली में विधानसभावार सोनिया गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के मताें को देखें तो हरचंद्रपुर और बछरावां में तो वे साेनिया के काफी नजदीक रहे। सोनिया गांधी को हरचंद्रपुर में जहां 98131 मत मिले, वहीं दिनेश को 72008 मत मिले। बछरावां में सोनिया गांधी को 101221 मत तो दिनेश को 77166 मत मिले। सदर में दिनेश प्रताप सिंह काफी ज्यादा अंतर से मात खाये। यहां 61405 मत से दिनेश प्रताप सिंह पीछे हो गये। सदर में जहां सोनिया गांधी को 123042 मत मिले, वहीं दिनेश प्रताप सिंह को 61637 मत ही मिल पाये।
2009 में 21 सीटों वाली कांग्रेस 2019 में आ गयी है एक सीट पर
यदि पूरे यूपी में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखें तो इसमें भी 2009 में 18.2 प्रतिशत मत पाकर 21 सीटों पर कब्जा जमाने वाली कांग्रेस 2019 में 6.31 प्रतिशत पाकर मात्र एक सीट पर सिमट गयी। यदि 2014 की स्थिति देखें तो उस समय भी कांग्रेस को 7.53 प्रतिशत मत मिले थे और अमेठी व रायबरेली दो सीटें उसके हाथ लगी थी। 2019 में यह तब स्थिति थी, जब कांग्रेस को पूरी उम्मीद थी कि प्रियंका वाड्रा कांग्रेस में जान फुंकेंगी और 2014 की अपेक्षा कांग्रेस को यूपी में बढ़त भी मिलेगी। प्रियंका ने नाव यात्रा से लेकर रोड-शो के माध्यम से बहुत हद तक कांग्रेस में जान फुंकने की कोशिश भी की लेकिन कांग्रेस को अपने अध्यक्ष की लोकसभा सीट खोने के साथ ही मत प्रतिशत में भी गिरावट देखना पड़ा।
दिनेश प्रताप को पुन: अपने पाले में करने की कोशिश
रायबरेली और अमेठी राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस दिनेश प्रताप सिंह को पुन: अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकती है। इस पर भी कांग्रेस के दिग्गज अभी से विचार कर रहे हैं। अमेठी के वरिष्ठ पत्रकार के.के.मिश्र, संजय सिंह (जिन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप मेंं अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था) के घटनाक्रम को याद करते हुए बताते हैं कि उस समय भी कांग्रेस डर कर ही संजय सिंह को कांग्रेस में मिलाया था और आज तक कांग्रेस संजय सिंह काे काफी तवज्जो देती है। रायबरेली और अमेठी में हर वक्त यह ध्यान देती है कि कोई विपक्षी मजबूत होने की कोशिश कर रहा हो तो उसे अपने पाले में कर लिया जाय। इस तरह के और कई उदाहरण हैं। उसी तरह दिनेश प्रताप सिंह के बढ़ते कद को देखकर भी कांग्रेस डरी हुई है और उन्हें पुन: कांग्रेस में करने का प्रयास अंदरखाने चल रही है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *