रायबरेली, 03 अक्टूबर (हि.स.)। कांग्रेस के बहिष्कार के बावजूद विधानसभा के विशेष सत्र में सदर विधायक अदिति सिंह के भाग लेने से उनकी मुश्किलें बढ़ना तय है। इसके पहले भी अदिति सिंह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर मोदी सरकार का समर्थन किया था। उनके इस कदम को आने वाले समय मे भाजपा में शामिल होने से जोड़ा जा रहा है। इसके पहले 2018 में कांग्रेस एमएलसी को अपने पाले में करके भाजपा ने रायबरेली में कांग्रेस को तगड़ी चुनौती दी थी।
रायबरेली में कांग्रेस के दो विधायक है जिनमें हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह पहले ही पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ जाकर भाजपा का समर्थन करते रहे हैं। हाल में ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के दीघार्यु के लिए सूर्य यज्ञ भी किया था। विधायक के भाई एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह पिछले वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। अब कांग्रेस विधायक अदिति सिंह का पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ जाना रायबरेली में सोनिया गांधी के लिए तगड़ा धक्का हो सकता है। हालांकि अदिति सिंह ने सत्र में शामिल होने को बापू के प्रति सम्मान बताया है लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। उनका विधानसभा सत्र में शामिल होना पार्टी के लिए भी परेशानी का सबब हो सकता है। अदिति सिंह के विशेष सत्र में शामिल होने के साथ-साथ उनके भाषण की भी खूब चर्चा है।
उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में ख़रीद-फरोख़्त की चर्चा करते हुए इस पद के लिए जनता के बीच सीधे चुनाव कराने की बात की है। उनके इस वक्तव्य को रायबरेली की राजनीति से भी जोड़ा जा रहा है। कुछ समय पहले ही रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के ख़िलाफ़ आये प्रस्ताव को लेकर भाजपा एमएलसी के ख़िलाफ़ लामबंदी हुई थी। इसमें अदिति सिंह ने अपने ऊपर हमले का भी आरोप लगाया था। अदिति सिंह ने इसमें खुलकर विपक्षियों का साथ दिया था।
भाजपा एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के भाई अवधेश सिंह वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। एक तरफ जहां अदिति सिंह ने विशेष सत्र में भाग लेकर कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है वहीं उन्होंने अपने भाषण से रायबरेली में अपने विरोधियों को भी निशाने पर लिया है। आने वाले समय में इसका रायबरेली की स्थानीय राजनीति सहित राष्ट्रीय राजनीति में भी असर पड़ने की संभावना है।