बंगाल में फॉरवर्ड ब्लॉक के लिए अब अछूत नहीं कांग्रेस, समझौते की कवायद शुरू

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प्रदेश में 34 वर्षों तक शासन करने वाले वाममोर्चा के घटक दल फॉरवर्ड ब्लॉक ने अपना रुख बदलते हुए अब कांग्रेस से गठबंधन करने की कवायद शुरू कर दी है।



कोलकाता, 29 जुलाई (हि.स.)। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्य में अब राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील पर माकपा अब तृणमूल कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपनाने लगी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी भी ममता के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
प्रदेश में 34 वर्षों तक शासन करने वाले वाममोर्चा के घटक दल फॉरवर्ड ब्लॉक ने अपना रुख बदलते हुए अब कांग्रेस से गठबंधन करने की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी की 24 एवं 25 सितंबर को होने वाली बैठक में इस पर कोई निर्णय हो सकता है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस को बैक डोर से माकपा का साथ मिल रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस से लगातार दूरी बनाए रखने वाले फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता भी अब जमीनी तौर पर पार्टी के साथ समझौते की कवायद में जुटे हैं।
फॉरवर्ड ब्लॉक के एक शीर्ष नेता ने सोमवार को बताया कि पश्चिम बंगाल में तेजी से बढ़ती भाजपा को रोकने के लिए यह जरूरी है कि राज्य में विकल्प बना जाए। इसके लिए वाममोर्चा के घटक दलों को कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए एक मंच पर लाने में फॉरवर्ड ब्लॉक के शीर्ष नेता सक्रिय हो गए हैं। इसी कवायद में गत शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने जब उत्तर 24 परगना के हिंसा प्रभावित भाटपाड़ा क्षेत्र का दौरा किया था तब उनके साथ फॉरवर्ड ब्लॉक के शीर्षस्थ नेता नरेन चटर्जी भी मौजूद थे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव से पहले जब माकपा और कांग्रेस का नेतृत्व गठबंधन की कोशिशों में जुटा था तब फॉरवर्ड ब्लॉक ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया था।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार आगामी 24 एवं 25 सितंबर को राज्य काउंसिल की बैठक में कांग्रेस के साथ समझौते की रूपरेखा तैयार कर उसे अनुमोदित किया जाएगा। दरअसल 2008 में फॉरवर्ड ब्लॉक ने वाममोर्चा से अलग होकर बीरभूम में अकेले पंचायत चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था। तब राज्य में राजनीतिक माहौल अलग था। लोग ममता बनर्जी के पक्ष में थे और वाममोर्चा के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए राज्यभर में परिवर्तन की आशा थी। हालांकि बाद में वाममोर्चा में शामिल अन्य घटक दलों ने फारवर्ड ब्लाक को अकेले नहीं लड़ने के लिए राजी कर लिया था। वर्ष 2016 में जब पार्टी के नेता बागी हो गए थे और कांग्रेस के साथ गठबंधन का खुला विरोध कर रहे थे तब भी घटक दलों ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी। हालांकि हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा के उभार के बाद फारवर्ड ब्लॉक के कुछ नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन की तरफदारी करने लगे हैं।

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