पटना, 26 सितम्बर (हि.स.) । बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद अब महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। महागठबंधन के घटक दल जल्द से जल्द सीट शेयरिंग पर फैसला चाहते हैं। रालोसपा तो पहले ही मनचाही संख्या में सीट न मिलने पर महागठबंधन से अलग होने की धमकी दे चुकी है। अब महागठबंधन के दूसरे सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस ने भी तेजस्वी को तेवर दिखा दिए हैं।
कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडेय ने शनिवार को कहा कि पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर राजद के साथ सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सम्मानजनक समझौता होता है तो हम उनके साथ चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों के अनुसार इस बार राजद ने करीब 150 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। ऐसे में बची सीटें महागठबंधन के अन्य घटक दलों को मिलेंगी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटें मिली थी। इस बार कांग्रेस 70 से अधिक विधानसभा सीटें चाहती हैं। बिहार में महागठबंधन में शामिल दलों राजद, कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी और वामपंथी दलों के बीच अधिक से अधिक सीट पाने के लिए रस्साकशी चल रही है। मन मुताबिक सीट न मिलने के चलते पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम पहले ही महागठबंधन से निकल चुकी है। अब रालोसपा भी इसी राह पर है। रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने साफ संकेत दिया है कि सम्मानजनक सीट न मिलने पर वे महागठबंधन से अलग हो सकते हैं। राजद कुशवाहा को 10-12 सीट से अधिक देने के मूड में नहीं है। इससे खफा उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को कहा था कि अगर राजद अपने नेतृत्व को बदल दे तो वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को समझा लेंगे। जिस उद्देश्य को लेकर महागठबंधन का निर्माण हुआ था, आज वह अपने उद्देश्य से भटक चुका है।