कांग्रेस शासित राज्यों में पारित होंगे सीएए के खिलाफ प्रस्ताव : अहमद पटेल

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उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों के जरिए केंद्र सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया जाएगा कि नए कानून को वापस लिया जाए।



नई दिल्ली, 19 जनवरी (हि.स.)। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने की संवैधानिक बाध्यता पर जोर देने वाले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद के बयानों पर वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने रविवार को कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों की विधानसभाओं में भी नए कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।

पटेल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की विधानसभाओं में  सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों के जरिए केंद्र सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया जाएगा कि नए कानून को वापस लिया जाए।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के दो वरिष्ठ अधिवक्ता नेताओं कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद ने कहा था कि किसी राज्य के लिए यह संभव नही है कि वह संसद द्वारा पारित कानून को लागू करने से इंकार करे। सिब्बल ने केरल लिट्रेरी फेस्टिवल में ये विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि राज्य सरकारें नए कानून का विरोध कर सकती हैं, राज्य विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित किए जा सकते हैं लेकिन कानून को लागू करने से इंकार नही किया जा सकता। ऐसा करना गैर संवैधानिक होगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई राज्य नए कानून को लागू करने से इंकार करता है तो इससे समस्या पैदा होगी।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल के बयान के बाद कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी तथा सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनके बयान की आलोचना की। बाद में सिब्बल ने सफाई देते हुए कहा कि सीएए की  संवैधानिक बाध्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में है तथा जब तक अंतिम फैसला नही आता नए कानून का विरोध करना हर किसी का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य अधिवक्ता और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी ऐसी ही राय जाहिर करते हुए कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट नए कानून को खारिज नही करता तो वह कानूनी दस्तावेज बन जाएगा और उसका पालन करना होगा। कानून का पालन न करने पर उसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के लिए कठिनाई पैदा होगी । यदि वह ये रवैया अपनाए कि वह नए कानून को लागू नही करेगा।

इस बीच, कांग्रेस शशि थरूर ने कहा कि नए कानून को लेकर किया जा रहा विरोध समाप्त हो जाएगा यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री इस आशय की घोषणा करें कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विचार को छोड़ दें। उन्होंने कहा कि जहां तक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का सवाल है इस संबंध में लोगों से अनावश्यक रुप से सवाल पूछने और दस्तावेज की मांग करने का कोई औचित्य नहीं है।

उल्लेखनीय है कि सीएए के खिलाफ सबसे पहले वाम मोर्चा शासित केरल की विधानसभा ने प्रस्ताव पारित किया था जिसके बाद कांग्रेस शासित पंजाब में भी ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि राज्य सरकार ने नए कानून में बदलाव के लिए एक मसौदा केंद्र सरकार को भेजा है।

 


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