अजहरुद्दीन हों या अमरिंदर, सिद्धू ने किसी को नहीं माना ‘कैप्टन’

0

पहले राज्यसभा छोड़ी अब मंत्री पद की नहीं की परवाह-अमरिंदर की इच्छा के उलट पाकिस्तान जाने से शुरू हुआ था विवाद



चंडीगढ़, 20 जुलाई (हि.स.)। पंजाब की राजनीति में अक्सर सुर्खियों में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू चाहे किसी भी क्षेत्र में क्यों न रहें हों लेकिन उन्हें कभी भी किसी का नेतृत्व स्वीकार नहीं हुआ। सिद्धू सिस्टम के अनुसार नहीं बल्कि सिस्टम को अपने अनुसार चलाने के पक्षधर रहे हैं। यही कारण है कि क्रिकेट के मैदान से लेकर राजनीतिक पारी तक सिद्धू ने कभी भी किसी का नेतृत्व स्वीकार नहीं किया। जब तक माहौल सिद्धू के अनुकूल रहा, तब तक वह उस राजनीतिक दल में रहे। उसके बाद उन्होंने राजनीतिक दल को अलविदा कहने में देर नहीं लगाई। नवजोत सिंह सिद्धू जितना समय क्रिकेट की पिच पर रहे, उतना समय भी किसी ने किसी विवाद में घिरे रहे।
वर्ष 1996 में नवजोत सिंह सिद्धू सबसे पहली बार उस समय सुर्खियों में आए, जब इंग्लैंड दौरे के दौरान उनका भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कैप्टन अजहरुद्दीन के साथ विवाद हुआ और सभी खिलाडिय़ों के रोकने के बावजूद सिद्धू भारत लौट आए। राजनीति में आने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू व उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू लंबे समय तक भाजपा में तो टिके रहे लेकिन यहां भी उन्होंने गाहे-बगाहे अकाली दल प्रधान प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल पर सवाल उठाते रहे।
अकाली दल के साथ चल रहे विवाद के बीच वर्ष 2016 में भाजपा ने सिद्धू को राज्यसभा में भेज दिया। यहां भी सिद्धू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल पर सवाल उठाते हुए अपना नेता मानने से इनकार कर दिया और भाजपा को अलविदा कह गए। इसके बाद सिद्धू कांग्रेस में शामिल होकर कैबिनेट मंत्री तो बन गए लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा केबल माफिया, खनन माफिया के विरुद्ध ठोस कार्रवाई न किए जाने तथा अकाली नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने को मुद्दा बनाते हुए सिद्धू ने अमरिंदर के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
वर्ष 2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मना करने के बावजूद नवजोत सिद्धू पाकिस्तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए और वहां आईएसआई चीफ से गले मिलकर नए विवाद को जन्म दे दिया। वर्ष 2019 के दौरान नवजोत सिद्धू ने पुलवामा हमले के दौरान विवादित बयान दिया। 19 मई को पंजाब में लोकसभा चुनाव से पहले सिद्धू ने अमरिंदर सिंह पर बादल परिवार के साथ मिले होने का आरोप लगाया तो अमरिंदर ने कहा कि सिद्धू की नजर सीएम की कुर्सी पर है। यह विवाद इतना बढ़ा कि दस जून 2019 को सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को ‘कैप्टन’ मानने से इनकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इन हालात में अब पंजाब की राजनीति में यही सवाल चर्चाओं में है कि नवजोत सिंह सिद्धू अब अपना अगला ‘कैप्टन’ किसे स्वीकार करेंगे।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *