वाराणसी, 30 सितम्बर (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के जंतु विज्ञान विभाग के यौन उत्पीड़न के दोषी प्रोफेसर एसके चौबे को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। प्रोफेसर पर उनके ही विभाग की एमएससी की छात्राओं ने शैक्षणिक टूर में यौन शोषण, अश्लील हरकतें, अभद्रता और भद्दी टिप्पणियां करने के आरोप लगाए थे। प्रोफेसर के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के बाद आक्रोशित छात्राएं शान्त हो गई हैं लेकिन इस कार्यवाही पर अभी शिक्षक मौन हैं।
बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एसके चौबे को हटाने के लिए बीते 14 सितम्बर की देर शाम छात्राएं विश्वविद्यालय के सिंहद्यार पर धरने पर बैठ गईं थी। लगभग 27 घंटे लगातार चले छात्राओं के धरने को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने फेसबुक पेज से समर्थन दिया तो विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया। छात्राओं के प्रतिनिधि मंडल को अपने आवास पर बुलाकर कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने उनकी शर्त मान ली। इसके बाद देर शाम उन्होंने आरोपित प्रोफेसर के खिलाफ कार्यवाही का लिखित भरोसा दिया, तब जाकर छात्राओं ने धरना समाप्त किया। इसके बाद कुलपति ने प्रोफेसर एसके चौबे को अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर भेज दिया। इसके बाद दिल्ली में कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने 27 सितम्बर को कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाकर यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला लिया गया।
क्या है पूरा मामला
अक्टूबर 2018 में बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग की छात्राओं को शैक्षणिक टूर पर पुणे ले जाया गया था। टूर से आने के बाद छात्राओं ने प्रोफेसर एसके चौबे पर अश्लील कमेंट का आरोप लगाकर उनके खिलाफ लिखित शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से थी। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था और जांच चलने तक बाहर जाने पर रोक लगाई गई थी। इस मामले में जांच समिति गठित कर 25 अक्टूबर 2018 से 30 नवम्बर 2018 तक मामले की जांच कराई गई। कमेटी ने आरोप लगाने वाली छात्राओं के साथ ही विभागीय शिक्षकों के बयान दर्ज कर अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंपी थी। रिपोर्ट में जांच समिति ने छात्राओं के आरोप को सही बताया था। जून 2019 को हुई कार्यपरिषद की बैठक में कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर को चेतावनी दी गई कि भविष्य में वह इस तरह के किसी भी टूर में नहीं जाएंगे। साथ ही भविष्य में उन्हें किसी तरह का कोई पद नहीं दिया जाएगा। इसके बाद आरोपी प्रोफेसर को परिसर में बुला लिया गया। इसकी जानकारी छात्राओं को हुई तो वे लामबंद होकर धरने पर बैठ गई। तब विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यकारिणी परिषद ने भी आरोपी प्रोफेसर पर मेजर पेनाल्टी लगाई है। उनकी सजा माफ नहीं हुई है। उन्हें सभी प्रकार के अधिकारों से डिबार कर दिया गया है। छात्राओं को कार्रवाई के बारे में समझना चाहिए।
बीएचयू के जनसम्पर्क अधिकारी प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि प्रो. शैल कुमार चौबे पर जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सात जून 2019 को हुई कार्यकारिणी परिषद की बैठक में मेजर पेनाल्टी लगाई गई है। उन्हें दोधी ठहराया गया है। उन्हें भविष्य में विश्वविद्यालय में कोई महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्व नहीं दिया जाएगा। न ही वे कभी छात्रों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे।