आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत पर सीएम बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया के यहां पड़े थे छापे
रायपुर, 29 फरवरी (हि.स.)। दो दिन से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित बस्तर संभाग के जगदलपुर में प्रभावशाली लोगों के यहां इनकम टैक्स एवं प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा मारे गए छापों से हड़कंप मचा हुआ है। शहर में सबसे ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया और ओएसडी अरुण मरकाम के यहां पड़े छापों को लेकर रही है।
इन छापों का इतना प्रभाव पड़ा कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ राज्यपाल को ज्ञापन देने पहुंच गए। उन्होंने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया।
दरअसल कुछ माह से उपसचिव सौम्या चौरसिया की गिनती बेहद प्रभावशाली अधिकारियों में शुमार हो गई थी। आम लोगों के बीच उन्हें सुपर सीएम कहा जाने लगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के सारे निर्णयों में उनकी प्रभावशाली भूमिका रहती थी। एक आरटीआई एक्टिविस्ट भूपेंद्र परमार ने फेसबुक पर उनके खिलाफ अभियान चलाया हुआ था। नए वर्ष के मौके पर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन एवं शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में उसे जेल भेज दिया गया था। बड़ी मुश्किल से उसकी जमानत उच्च न्यायालय से हुई थी।
दुर्ग भिलाई के एक और आरटीआई एक्टिविस्ट शेष नारायण शर्मा ने मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया की आय से अधिक संपत्ति की जांच करने के बाबत 4 फरवरी को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर को शिकायत की थी। इस शिकायत की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री कार्यालय, नई दिल्ली एवं लोकपाल, भारत सरकार तथा निदेशक सीबीआई को भी भेजी गई थी।
शिकायत में कहा गया था कि सौम्या चौरसिया ने अपनी माता शांति देवी चौरसिया एवं सास आशा मणि मोदी के नाम से ग्राम ठकुराइन टोला, पटवारी हल्का नंबर 37, राजस्व निरीक्षक मंडल पाटन, जिला दुर्ग में जमीन खरीदी है जिसमें जमीन क्रय की राशि का आर्थिक स्रोत जांच करने की आवश्यकता है।
आरटीआई एक्टिविस्ट का आरोप है कि यह जमीन भ्रष्टाचार द्वारा अर्जित की गई आय से खरीदी गई है। साथ ही मांग की गई कि सूर्या रेसीडेंसी, एमजे कॉलेज के सामने जूनवानी रोड भिलाई स्थित मकान एवं फ्लैट दोनों को खरीदने के लिए खर्च की गई रकम के स्रोत की जांच की जानी चाहिए। शिकायत में यह भी कहा गया कि सौम्या चौरसिया द्वारा पाटन एसडीएम रहने के दौरान रायपुर जिले की सरहद से लगे गांव में बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए उनके प्लाटों का डायवर्जन गलत तरीके से किया गया है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार आरटीआई एक्टिविस्ट की उक्त शिकायत को गंभीरता से लेकर संबंधित विभागों ने तथ्य जुटाए। समझा जाता है कि शुक्रवार को पड़े छापे में उक्त शिकायतों की भी बड़ी भूमिका रही है।